<पी शैली ="टेक्स्ट-एलाइन: जस्टिफ़ाई करें;">हमारे देश में शिक्षा के क्षेत्र में रोज नए बदलाव होते रहते हैं। देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए भी प्रयास जारी हैं। इसी क्रम में यूजीसी ने एक नया नियम आवंटन किया है जिसके तहत देश के अधिक से अधिक लोगों को साक्षर बनाया जा सकता है। इस नियम के तहत अब विश्वविद्यालय के हर छात्र को हर साल कम से कम पांच निरक्षर लोगों को पढ़ना होगा। यूजीसी का मानना है कि इससे देश में अनपढ़ लोगों की संख्या कम होगी और साल 2047 तक हमारा देश भी विकसित राष्ट्र की सूची में शामिल हो सकेगा। चूंकि शिक्षा इसके लिए अहम है इसलिए इस क्षेत्र में प्रयास जारी है।
बदले में क्रेडिट स्कोर मिलेगा
यूनिवर्सिटी और हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में पढ़ने वाले छात्र, दोनों पर ही ये नियम लागू होंगे। इन छात्रों को हर साल पांच अनपढ़ लोग चुनकर उन्हें शिक्षा पढ़ाएंगे यानी उन्हें पढ़ना-लिखना सिखाना होगा। इसके बदले में उन्हें क्रेडिट स्कोर भी मिलेगा जो कोर्स के अंत में उनके रिजल्ट में आएंगे।
नए सत्र से लागू होगा नियम
ये नियम नए सेशन से लागू होंगे। इसके लिए यूजीसी ने विस्तृत दिशानिर्देश भी जारी किए हैं। इसे लागू करने के लिए हर प्रोजेक्ट वर्क और असाइनमेंट से जोड़ने की बात की जा रही है। इसमें ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट दोनों तरह के कोर्स शामिल होंगे।
मिलेगा इतना क्रेडिट स्कोर
इस योजना के तहत एक अनपढ़ को लेकर पांच क्रेडिट स्कोर वाले छात्र को दिया जाएगा। लेकिन ऐसा तभी होगा जब सीखने वाला साक्षर हो जाएगा। यानी जब उसे साक्षर होने का जीमेल मिल जाएगा, तभी आपको क्रेडिट स्कोर दिया जाएगा।
यूजीसी के अनुसार इस पहल से देश में साक्षरत की यात्रा तेज हो सकती है। देश में साक्षरता की दर 78 प्रतिशत है। इसे शत-प्रतिशत किए जाने पर विचार किया जा रहा है। यूजीसी का यही लक्ष्य है।
यह भी पढ़ें: HP TET परीक्षा के नतीजे