स्मार्टफोन आज हम सभी की जरूरत बन गया है। यह एक डिवाइस आज न जाने कितने काम में पोज़िशन करता है। स्मार्टफोन सिर्फ बड़े ही यूज नहीं करते आजकल छोटे-छोटे बच्चे भी मोबाइल के आदी हो गए हैं। कार्टून दृश्य हो, खेल खेलना हो या अन्य कुछ भी, बच्चे भी जमकर मोबाइल फोन का यूज करते हैं। मोबाइल फोन लोगों की जिंदगी एक तरह से बदल गई है। आज सोने से पहले लॉग घंटा मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको यूनाइटेड किंग्डम और आयरलैंड के सैमसंग के व्यवसायिक कार्यालय के अध्यक्ष जेम्स किट्टो के एक बयान के बारे में बता रहे हैं।
दरअसल, जेम्स ने बीबीसी को एक साक्षात्कार में बताया कि उन्होंने अपनी बेटी को 11 साल बाद अपना पहला स्मार्टफोन दिया था। इस बयान का उल्लेख आज हम क्यों कर रहे हैं इसकी वजह से हम आपको नीचे दिए गए लेख में सब्सक्राइब करते हैं। जेम्स किट्टो ने एक इंटरव्यू में ये कहा कि उन्होंने अपनी बेटी को 11 साल की उम्र के बाद अपना पहला स्मार्टफोन दिया था। उन्होंने ये बयान इंटरव्यू में तब दिया जब इस पर चर्चा हो रही थी कि आज हर कोई स्मार्टफोन यूज करता है, भले ही उनकी उम्र कुछ भी हो। फिर चाहे बच्चे हों, बड़े हो या जवान। इस पर जेम्स ने रिएक्शन देते हुए ये बात कही थी।
हैरान करने वाली ये रिपोर्ट पढ़िए
भारत में कम उम्र के बच्चे दूसरे देशों की तुलना में मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना जल्दी सीख रहे हैं। McAfee की एक रिसर्च के मुताबिक, भारत में कम उम्र के बच्चों के स्मार्टफोन बहुत ज्यादा यूज करते हैं, जिसके चलते वे ऑनलाइन रिस्क का शिकार ज्यादा होते हैं। इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि भारत में 10 से 14 साल के बच्चे के मोबाइल फोन का इस्तेमाल दूसरे देशों के प्रचार पर ज्यादा करते हैं और जल्दी से इसे सीखना भी सीखते हैं।
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रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि ऐसा भारत में इसलिए है क्योंकि यहां माता-पिता बच्चों के मोबाइल फोन को यूज करना सामान्य समझते हैं और उन्हें इसके लिए नहीं टोकते। इलेक्ट्रॉनिक और इसके मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने पिछले साल मार्च 2019 में बताया था कि करीब 24% बच्चे ऐसे हैं जो रात में सोने से पहले कई घंटे मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं। साथ ही उन्होंने पिछले हफ्ते ये बात भी रखी कि करीब 37% बच्चे ऐसे हैं जो मोबाइल फोन का इस्तेमाल कम उम्र में करने की वजह से अपनी कंसंट्रेशन पावर खो देते हैं।
McAfee की रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि भारत में कम उम्र के बच्चे मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं जिसकी वजह से वे ऑनलाइन रिस्क की चपेट में आते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि बच्चें साइबर बुलिंग, डेटा प्राइवेसी, इनफार्मेशन लीकेशन आदि कई तरह की गलत गतिविधियों में फस जाते हैं। भारत के अन्य देशों में साइबर बुलिंग के मामले में कम उम्र के बच्चों में 5% ज्यादा हैं।
माता-पिता का ध्यान रखें ये बात
कुल मिलाकर, ये रिपोर्ट हमें ये बताती है कि बच्चों को कम उम्र से मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि ये उम्र उनके खेलने-कूदने, नई चीजों को सीखने-समझने आदि की होती है। अगर वे लगातार मोबाइल फोन पर समय व्यतीत करेंगे तो इससे उनका मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा जो उनके भविष्य के लिए अच्छा नहीं है।
माता-पिता को भी ये बात समझ आएगी कि बच्चों की कम उम्र में मोबाइल फोन ना दिया जाए क्योंकि इससे वे गलत तरह के जाल में फस जाते हैं। अगर तकनीक या मोबाइल फोन का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो ये जिंदगी को आसान और बेहतर बना सकते हैं। वहीं, अगर किसी तरह से इनका इस्तेमाल किया जाए तो कई गंभीर परेशानियां हो सकती हैं।
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