गुब्बारे पर उत्तर कोरिया किम जोंग उन: स्पाई बैलून को लेकर चीन और अमेरिका की जातियां गहरी हैं। अमेरिका की ओर से चीनी बैलून को मार गिराने के बाद चीन ने चेतावनी भी दी थी। अमेरिका ने 4 फरवरी को चाइनीज बैलून के जरिए फाइटर जेट से मिसाइल गिराया था। चीन और अमेरिका का विवाद अभी खत्म भी नहीं हुआ है कि अब उत्तर कोरिया (उत्तर कोरिया) और दक्षिण कोरिया के बीच बैलून को लेकर चर्चा तेज हो गई है।
दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रालय के अनुसार उत्तर कोरिया का एक गुब्बारा रविवार (5 फरवरी) को रिपब्लिक ऑफ कोरिया (ROK) हवाई क्षेत्र में सीमा पार कर गया।
उत्तर और उत्तर कोरिया में बैलून वॉर
उत्तर कोरिया के दक्षिण कोरियाई हवाई क्षेत्र में घुसने की खबर अमेरिका की ओर से चाइनीज को मारने के बाद आई है। दक्षिण कोरियाई क्षेत्र में जो बैलून आया है, उसे कोई खतरा नहीं बताया गया है। सेना ने इसे एक नज़र के रूप में देखा है। हालांकि उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच बैलून वॉर कोई नया नहीं है। दोनों देशों में अक्सर कट्टर दुश्मन एक दूसरे के हवाई क्षेत्र में बैलून उड़ते हैं। दक्षिण कोरिया से कई लोग बैलून के जरिए संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं।
बैलून से चिढ़ता क्यों तानाशाह है?
दक्षिण कोरिया की ओर से उत्तर कोरिया के हवाई क्षेत्र में भी बैलून उड़ने की खबरें अक्सर आती रहती हैं। उत्तर कोरिया में लोगों को बहुत आजादी नहीं है। देश में अंतर्राष्ट्रीय समाचार पत्र और इंटरनेट भी कुछ ही परिवार तक सीमित हैं। तानाशाह के शासन में कई पाबंदियों के बाद कुछ लोग भागीदार दक्षिण कोरिया पहुंच जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यही लोग बैलून में अलग तरह के कुछ संदेश अपने लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं। तानाशाह किम जोंग इन बैलून से काफी द्वेष करता है क्योंकि इसमें उनके ही संदेश होते हैं।
बैलून में क्या होती हैं जानकारियां?
उत्तर कोरिया में किम जोंग उन (किम जोंग उन) के शासन में कब्जा से लेकर लेख तक कई तरह के पाबंदियां हैं। ऐसे में उत्तर कोरिया से भाग लेने वाले दक्षिण कोरिया जाने वाले लोग बैलून के जरिए कुछ जरूरी सूचनाएं देने वाली चीजें हैं। ये जानकारियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी शामिल होती हैं। कुछ बुलून में पेन ड्राव, विदेशों के समाचार की कतरनें हैं, ताकि उनसे जुड़े लोगों तक ये जानकारी पहुंच सके। इन जानकारियों के साथ बुलून में तानाशाह किम जोंग के खिलाफ मैसेज भी होते हैं।
कुछ रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि सिर्फ उत्तर कोरिया से प्रवासी लोग ही ऐसा नहीं करते हैं, बल्कि दक्षिण कोरिया (दक्षिण कोरिया) के मानवाधिकार संस्थान भी ऐसा कर लोगों को जागरूक करने की कोशिश करते हैं। महामारी के दौरान भी बैलोन के माध्यम से दवाई सहित कई राहत सामग्री भेजी गई थी, जिसे दिखाकर तानाशाह चिढ़ाता था और कोरोना फैलाने का आरोप लगाया था।
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