हेमा मालिनी करियर: 60 से 70 और फिर 80 से 90 के दशक में बॉलीवुड एक्ट्रेस हेमा मालिनी का जलवा बरकरार है। हेमा मालिनी ने अपने करियर में कई संस्कारी फिल्में दी हैं। हर फिल्म में अपने दमदार अभिनय से हेमा मालिनी ने लोगों का दिल जीत लिया और बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बनाई। आज भले ही हेमा मालिनी फिल्म इंडस्ट्री की एवरग्रीन एक्ट्रेस हों और उन्हें ‘ड्रीम गर्ल’ का टैग मिला हो, लेकिन एक समय में एक्ट्रेस को बहुत रिजेक्शन मिलने लगी थीं। हेमा मालिनी के रिजेक्शन और स्ट्रगल का ये दौर चार साल तक चला था।
इन कारणों से रिजेक्ट होती थीं हेमा
कहते हैं कि जब हेमा मालिनी की एंट्री फिल्मों में हुई, तब वे काफी दुबली पतली हो गईं। डबल ग्लोबल होने के कारण हेमा मालिनी को कई फिल्मों से रिजेक्ट कर दिया गया था। मेकर्स हेमा से मिलने के बाद उन्हें अपनी फिल्म में लेने से मना कर देते थे। लेकिन सिर्फ यही कारण नहीं था। हेमा मालिनी का नाम भी लोगों को पसंद नहीं आता था और वो उनका नाम नंबर लेने से मना कर देते थे। लगभग चार साल तक हेमा मालिनी के साथ यही चला और वे तब तक साउथ फिल्मों में कुछ छोटे-मोटे रोल ही कर रही हैं।
किस्मत ने मारी पलटी
आखिरकार हेमा मालिनी को 1968 में राज कपूर के साथ ‘सपनों के सौदागर’ फिल्म में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में लोगों ने उन्हें खूब पसंद किया। इसके बाद हेमा के पास फिल्मों की लाइन लग गई और वे एक के बाद एक हिट होने लगीं। हेमा सिता और गीता, लाल पत्थर, अंदाज़, वादे और शोले जैसी न जाने कितनी हिट फिल्मों में नजर आईं। हिट फिल्मों की फिल्म 80 के दशक तक जारी रही। उन्हें नसीब, सत्ते पे सत्ता, एक चादर मैली सी, दुर्गा, रिलीज और जामई किंग जैसी फिल्मों में देखा गया। लंबे समय के बाद अभिनेत्री ने जब वीर जारा से बड़े पर्दे पर कमबैक किया तो लोगों की नजर उन पर नहीं पड़ी।
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