बैंक ऋण-जमा वृद्धि: आने वाले दिनों में मार्जिन (बैंक) को डिपॉजिट (जमा) पर कस्टमर्स को ज्यादा ब्याज (ब्याज दर) देना होगा। बैंक जिस गति से ऋण बांट रहे हैं, उस गति से विशिष्ट लोगों को जमा नहीं मिल रहा है। ऐसे में एफडी-अपोसिट (सावधि जमा-आवर्ती जमा) पर अधिक ब्याज ऑफर बैंक ग्राहकों को सीखने की कोशिश करेंगे।
इंडियन रिजर्व बैंक (भारतीय रिजर्व बैंक) ने सोमवार को बैंकों के डिपॉजिट-क्रेडिट को लेकर तिमाही आंकड़े जारी किए। जिसके मुताबिक अक्टूबर से दिसंबर 2022 तिमाही के दौरान 16.8 प्रतिशत के हिसाब से कर्ज मांगा है। जो कि जुलाई से सितंबर तिमाही में 17.2 प्रतिशत से कम रहा है। लेकिन बैंक में आने वाले डिपॉजिट के मामले कहीं ज्यादा ज्यादा हैं। अक्टूबर से दिसंबर तिमाही के बीच बैंकों के डिपॉजिट पर 10.3 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी की गई है। समग्र के अनुसार टर्म डिपॉजिट (टर्म डिपॉजिट) में 13.2 प्रतिशत के कारणों के कारण डिपॉजिट क्रेडिट रेटिंग बढ़ जाती है। जबकि मनोरंजक (वर्तमान) और सेविंग (बचत) रेटिंग रेट केवल 4.6 प्रतिशत के दर से बढ़ाया गया है।
ये आंकड़े बताते हैं कि इतने कर्ज की मांग है इसलिए समझदार लोगों के पास डिपॉजिट नहीं हो रहा है। ये ऐसे ही चलता है तो खतरनाक ऋण देने के लिए नगदी की कमी हो सकती है। ऐसे में अन्य जमाराशियों पर व्यावसायीकरण विस्तार हो सकता है। फिक्स्ड डिपॉजिट और रेकरिंग डिपॉजिट ज्यादा चिंता पैदा कर सकते हैं जिससे किसी भी खाते में जमा रखने के लिए लोगों को आकर्षित किया जा सकता है।
आरबीआई ने पिछले 9 महीने में छह बार लगातार रेपो रेट (रेपो रेट) में 2.50 प्रतिशत कारण उसे 6.50 प्रतिशत कर दिया है। इसके बाद इसके ऋण तो महंगे हो सकते हैं, लेकिन उस अनुपात में जमाराशियों पर कब्जा नहीं। लेकिन कर्ज की बढ़ती मांग को देखते हुए नगदी के लिए बैंकों की जमा राशि को आकर्षित करना पड़ सकता है।
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