होमी जहांगीर भाभा प्रोफाइल: सोनी लिव की वेब सीरीज ‘रॉकेट बॉयज’ (रॉकेट बॉयज 2) का दूसरा सीजन गुरुवार (16 मार्च) को रिलीज हो गया। ये सीरीज मुख्य रूप से देश के दो महान वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा और विक्रम साराभाई (विक्रम साराभाई) पर आधारित है। इस सीरीज के पहले सीजन में काफी सुरखियां बटोरी थीं। इस सीरीज के आने के बाद वैज्ञानिक वैज्ञानिक होम जहां गीर भाभा के बारे में और ज्यादा जानना चाहते हैं। हम आपके कथन हैं गृहिणी जहां भाभी के बारे में।
होमी जहांगीर भाभा एक भारतीय परमाणु भौतिक वैज्ञानिक और मुंबई में द्वितीय संस्थान ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) के संस्थापक निदेशक थे। उन्हें भारत में परमाणु कार्यक्रम का जनक कहा जाता है। उन्होंने ऐसे समय में देश में परमाणु ऊर्जा संपन्न राष्ट्र निर्माण का काम किया था जब विश्व में शीत युद्ध चल रहा था और परमाणु विकिरणों के दुष्परिणामों को लेकर उनके खिलाफ जा रहा था। हालांकि, भाभा के आगमन के समय की पहचान हो गई थी और देश को परमाणु संपन्न राष्ट्र बनाने की आवश्यकता महसूस हो रही थी।
जानिए घरेलू भाभा के बारे में
घर की भाभी का जन्म 30 अक्टूबर, 1909 को मुंबई में एक पारसी परिवार में हुआ था। उनके पिता जहांगीर होर्मुसजी भाभा, एक मशहूर वकील थे और उनकी मां मेहरबाई बोर्ड, उद्योगपति रतनजी दादाभाई बोर्ड की बेटी थीं। भाभा ने अपनी उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड जाने से पहले मुंबई में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की थी। कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में फिजिक्स की पढ़ाई करने के लिए अमेरिका जाने से पहले उन्होंने 1930 में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से स्नातक की पढ़ाई की थी। इंजीनियरिंग के बाद उनके भ्रम की स्थिति में वृद्धि हुई थी। उन्होंने अपना पीएच.डी. 1935 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में परमाणु भौतिकी में की गई थी।
देश वापसी करने वाले वैज्ञानिक अनुसंधान में शामिल हुए
ब्रिटेन में अपने परमाणु भौतिकी करियर की शुरुआत करते हुए भाभा सितंबर 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने से पहले छुट्टी के लिए भारत लौट आए थे। युद्ध के कारण उन्होंने भारत में रहने का निर्णय लिया और वैज्ञानिक अनुसंधान में शामिल हो गए। उन्होंने बैंगलोर में भारतीय विज्ञान संस्थान में भौतिकी में पाठक का पद स्वीकार किया, जिसके अध्यक्ष नोबेल पुरस्कार विजेता सी.वी. रमन कर रहे थे। इस भाभा ने अवसरवादी परमाणु कार्यक्रम शुरू करने के लिए कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, विशेष रूप से जवाहरलाल नेहरू, जिन्होंने बाद में भारत के पहले प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया, को समझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
टीआई एफआर की स्थापना की
उन्होंने 1945 में मुंबई में द्वितीय संस्थानिक संबंध (TIFR) की स्थापना की, जो भारत में अग्रणी अनुसंधान में से एक बन गया। उनके नेतृत्व में टीआईएफआर ने गणित, भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। भाभा ने भारत के परमाणु कार्यक्रम की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका मानना था कि राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना और देश की वैज्ञानिक क्षमता को आगे बढ़ाने के लिए भारत का परमाणु संपन्न होना जरूरी है।
भारत का पहला परमाणु प्रमाण स्थापित किया गया
उन्होंने 1948 में भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना के लिए भारत सरकार के साथ मिलकर काम किया। उन्होंने इसके पहले अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। भाभा के नेतृत्व में भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग ने 1956 में भारत का पहला परमाणु सीमा, अप्सरा लागू किया। प्रमाण पत्र के उपयोग के उद्देश्य लिए गए और भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की छाया रखने में मदद की। उन्होंने भारतीय मंत्रिमंडल की वैज्ञानिक सलाहकार समिति के सदस्यों के रूप में कार्य किया और अंतरिक्ष यात्रा के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति की स्थापना के लिए विक्रम साराभाई को महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान की थी।
कई पुरस्कार और सम्मान मिले
भाभा ने मुंबई में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सेंटर की स्थापना 1954 में भारत के परमाणु कार्यक्रम का समर्थन करने और विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अन्य क्षेत्रों में खोज करने के लिए की गई थी। जहाँगीर होमी भाभा को कई पुरस्कार और सम्मान मिले थे। 1954 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्म सम्मान से सम्मानित किया गया था। उन्हें 1959 में भारत में एक विशिष्ट नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था।
कैसे हुई थी होम भाभा की मौत?
होमी जहांगीर भाभा की 24 नवंबर 1966 को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक के लिए वियना जाने के लिए स्विस आल्प्स में माउंट ब्लैंक के पास एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। वे एयर इंडिया के विमान में सफर कर रहे थे। विमान दुर्घटना का आधिकारिक कारण बताया गया था कि जिनेवा हवाई अड्डे के पास माउंट ब्लैंक पर्वत और उड़ान के पायलट के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो गई थी।
क्या साजिश थी होमी भाभा की मौत?
उनकी मृत्यु और विमान दुर्घटना से जुड़े कई धारणाएं हैं। कहा जाता है कि ये हादसा हुआ था। दावा किया गया है कि इस साजिश में अमेरिका की सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (CIA) शामिल थी जो भारत के परमाणु कार्यक्रम को बताना चाहती थी, लेकिन ये बात सही नहीं हुई। यह भी दावा किया जाता है कि अगर घर में भाभी की मौत नहीं हुई तो भारत 1960 के दशक में ही परमाणु संपन्न देश बन गया।
कुछ दिनों के संबंध में देश ने जुड़ गए थे दो महान सपूत
इस हादसे को लेकर कई लोगों को लगा था कि प्लेन में धमाका हुआ था। वहीं कुछ लोगों को आशंका है कि यह मिसाइल या लड़ाकू विमान के जरिए गिराया जाएगा। हालांकि, इन करोड़ों साजिशों के एंगल से जांच नहीं हुई और ना ही कभी सच सामने आया। भाभा की मौत होने की संभावना के कुछ कारण भी थे। जिसमें पहला कारण ये था कि होमी जहांगीर भाभा और भारत के प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बीच कुछ दिनों का अंतर था। दोनों की ही मौत की संदिग्ध स्थिति पैदा हुई थी।
होमी जहां भाभी के विमान हादसे के 2017 में कुछ सबूत भी हाथ लगे थे। फ्रांस के आल्प्स जीवों में माउंट ब्लैंक पर एक रडारर में कुछ मानवीय सतहें मिलीं। जिनके बारे में कहा गया था कि वे 1966 में हुए एयर इंडिया के विमान हादसे के हो सकते हैं। भाभा के सम्मान में मुंबई में परमाणु ऊर्जा संबंध का नाम अनन्य भा परमाणु अनुसंधान केंद्र को दे दिया गया था।
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