मेघालय की पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन: भारतीय रेलवे अपनी सुविधा में हर रोज सुधार करने की कोशिश कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में देश में ट्रेन की सफाई-सफाई के अलावा रेलवे के सभी बच्चों को विकसित करने पर काफी जोर दिया गया है। इसी कड़ी में अब रेलवे ने मेघालय को बड़ी सौगात दी है। जानकारी के मुताबिक, मेघालय को अपनी पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन मिल गई है। बता दें कि भारतीय रेलवे वर्ष 2030 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जक बनने के लिए पूरी ताकत से आगे बढ़ रहा है।
बिजलीकरण के प्रयास में सबसे बड़ी सीमा रेलवे ने 15 मार्च को दुधनाई-मेंदीपाथर (22.823 ट्रैक किलोमीटर) सिंगल लाइन सेक्शन और अभयपुरी-पंचरत्न (34.59 ट्रैक किलोमीटर) डबल लाइन सेक्शन शुरू करके एक और उपलब्धि हासिल की है। रेल मंत्रालय के अनुसार, रेलवे विद्युतीकरण के लिए केंद्रीय संगठन (CORE) ने इन प्राधिकरण में विद्युतीकरण कार्य किया है। यह 2030 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जक बनने की दिशा में भारतीय रेलवे के प्रयास से एक कदम आगे है।
मेघालय में सिर्फ एक रेलवे स्टेशन है
मेंदीपाथर उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय का एकलौता रेलवे स्टेशन है, जिसके वर्ष 2014 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन किया था। 2014 से यह रेलवे स्टेशन संचालन में है। इलेक्ट्रिक ट्रैक चालू होने के बाद इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव के जरिए खींची जाने वाली ट्रेनें अब मेघालय के में दीपाथर से सीधे संचालित हो सकेंगी। इसी औसत में बढ़ोतरी होगी। इलेक्ट्रिक ट्रेन होने से यात्री और माल ढुलाई ट्रेन इन सेक्शन में गति से गति से चलने में सक्षम हैं।
ट्रेन की गति में सुधार होगा
नॉर्थ-ईस्ट रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि बिजली से भूतिया भारत में ट्रेन की रफ्तार में काफी सुधार होगा। पेट्रोलियम ईंधन से बिजली की तरफ अटैचमेंट होने के कारण प्रदूषण में कमी के अलावा, इस क्षेत्र में रेलवे सिस्टम की दक्षता में भी सुधार होगा। इससे सीधे परिवहन की सुविधा होगी और विदेशी मुद्रा में कीमती वस्तुओं को बचाने के अलावा पिछले राज्यों से आने-जाने वाले ट्रेन के दौरे के समय में भी बचत होगी। साथ ही दूसरे राज्यों से इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव के माध्यम से चलने वाले पार्सल और माल ढुलाई वाली ट्रेनें सीधे मेघालय तक पहुंचेंगी।