श्री सम्मेद शिखरजी विवाद: झारखंड में स्थित जैन तीर्थस्थल श्री सम्मेद शिखरजी को तीर्थस्थल में परिवर्तन पर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ जैन समुदाय के लोगों ने मोर्चा खोल दिया है। इस मामले को लेकर जैन समाज के लोग विवरण में विरोध प्रकट कर रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अब मोदी सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करने वाली है।
जानकारी के मुताबिक, जैन समुदाय के विरोध-प्रदर्शनों को देखते हुए मोदी सरकार जल्द ही इस बारे में कोई बड़ा फैसला ले सकती है। इससे पहले रविवार (01 जनवरी) को बीजेपी सांसद मनोज तिवारी के नेतृत्व में पार्टी के कई नेताओं ने चुनाव से मुलाकात की थी। इस दौरान मनोज टाइगर ने 15 दिन में अपनी भूख को पूरी तरह से नष्ट कर दिया।
क्या है यह पूरा विवाद?
दरअसल, श्री सम्मेद शिखरजी को जैन समाज का सबसे बड़ा पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। श्री सम्मेद शिखरजी को पारनाथ पर्वत भी कहते हैं। जैन धर्म की अटकलों के अनुसार, उनके कई तीर्थयात्रियों और भिक्षुओं को यहां मोक्ष प्राप्त हुआ था। जैन समाज के लोग इसे बहुत पवित्र मानते हैं। इस क्षेत्र में जैन समाज के प्रसिद्ध मंदिर हैं। इस क्षेत्र को टूरिस्ट प्लेस घोषित करने से जैन समाज के लोग नाराज हो गए हैं। उनका मानना है कि इससे उनकी धार्मिक स्थलाकृति की हानि होगी।
संसद में भी इसका विरोध किया गया था
बीजेपी सांसद मनोज तिवारी और सहारनपुर के सांसद हाजी फजलुर रहमान ने इस मामले को संसद में भी उठाया था। सांसद मनोज तिवारी ने कहा था, “झारखंड सरकार के फैसले का सीधा असर राशि की सत्यता पर पड़ा है। जैन लोग चाहते हैं कि इस आदेश को रद्द कर दिया जाए।”
सीएम सोरेन ने केंद्र पर फोड़ा ठीकरा
वहीं झारखंड के झारखंड हेमंत सोरेन को इस मामले की पूरी जानकारी नहीं है. जीप सोरेन के बारे में न्यूज 18 ने लिखा, “जो अभी इस मामले की विस्तृत जानकारी नहीं है। उन्हें बस इतना पता है कि केंद्र सरकार ने पुष्पनाथ पर्वत को इको सेंसेटिव जोन घोषित किया है, जिसे लेकर विवाद खड़ा हुआ है इसलिए वे इस मामले अभी अपनी कोई राय नहीं दे सकते हैं।” उन्होंने कहा, “राज्य सरकार की तरफ से अभी इस पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है और ना ही कोई फैसला लिया गया है।”