केंद्रीय बजट 2023: वित्त मंत्री निर्मल ढांचा जल्द ही 2023-24 के लिए आम बजट के ढांचे को पेश करेगा। ये उनके द्वारा पेश किया जाने वाला लगातार पांचवां बजट होगा, साथ ही मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का ये आखिरी बजट भी है। बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री ने कहा कि देश का मध्यम वर्ग जो दबाव महसूस कर रहा है, वह उन्हें पूरा जिम्मेदारी देता है। हालांकि उन्होंने कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार ने मिडिल क्लास पर कोई नया टैक्स भार भी नहीं डाला है। पर सवाल उठता है कि वित्त मंत्री के इस दावे में कितना दम है?
पोर्टफोलियो के लिए घटाया टैक्स पर मिडिल क्लास को राहत नहीं!
फिर भी मोदी सरकार ने डायरेक्ट टैक्स नहीं सींक हो. लेकिन रजिस्ट्री और एक्साइज ड्यूटी के रूप में चुकाने वाले विदेशी टैक्स हर घर के ऊपर लोड के बोझ को बढ़ाने का काम करते हैं। 2019 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान बजट पेश करने के दो महीने बाद ही 20 सितंबर 2019 को केंद्र सरकार ने लाइट टैक्स में कटौती का एलान किया था। सरकार ने ग्लोब टैक्स को 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दिया है, तो नए घरेलू देनदार के लिए टैक्स टैक्स घटाकर 15 फीसदी कर दिया है। सरकार के इस कदम के चलते संसद समिति अनुमानों के मुताबिक 2019-20 में केंद्र सरकार को 86,835 करोड़ रुपये और 2022-21 में 96,400 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। यानी दो साल में 1.84 लाख करोड़ रुपए सरकार को नुकसान हुआ था। सरकार ने सर्कस को घटाया लेकिन आयकर टैक्स देने वाले मिडिल क्लास को किसी प्रकार की राहत नहीं दी।
मिडिल क्लास पर खतरे की मार!
2022 में आम आदमी पहले से ही हैरान-परेशान था। 28 – 29 जून 2022 को घोस्ट काउंसिल की बैठक में आम आदमी द्वारा इस्तेमाल की गई कई चीजों पर गैस्ट रेट बढ़ा दिए गए तो कई मिल रहे गैस्ट छूट खत्म कर दी गई। डिब्बा या पैकेट बंद और लेबल युक्त (फ्रोजन को छोड़ें) मछली, दही, चटनी, लस्सी, शहद, सूखा मखाना, सूखा सोयाबीन, मटर जैसे उत्पाद, गेहूं और अन्य अनाज और मुरमुरे पर पांच प्रतिशत लग गए। सबसे पहले इन चीजों को छूट मिली थी। किसी भी पैक और बैंक की तरफ से चेक जारी करने की सेवा में 18 प्रतिशत दर्जों के साथ एटलस में शामिल हैं और चार्ट पर 12 प्रतिशत लगे हैं। बाहर घूमना भी महंगा हो जाएगा। पहले 1,000 रुपये से कम के हैक वाले कमरे पर नहीं लगते थे। लेकिन 18 जुलाई, 2022 से 1,000 रुपये प्रतिदिन से कम किराये वाले होटल में 12 प्रतिशत दर्ज किए गए। अस्पताल में भर्ती करने वाले नागरिकों के लिए 5,000 रुपये से अधिक हैक करने वाले को छोड़कर पांच प्रतिशत दर्ज किया गया। 2022 में ही बच्चों की लिखी हुई बातों से जुड़ी बातें अब खतरनाक हो गई हैं। जिंजर काउंसिल ने ड्रिंकिंग-ड्राइंग इंक, पेंसिल शार्पनर, चटाई चटाई, ड्राइंग और मार्किंग करने वाले प्रोडक्ट्स पर भी गेज रेट बढ़ाए हैं। इन वस्तुओं पर 18 दस्तावेज लग रहे हैं।
2022 में जागीर ने मार डाला
वित्त मंत्री ने एक फरवरी 2022 को जब बजट पेश किया था, उसके कुछ ही दिनों बाद रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया था। उसके बाद स्टार तेल, गैस सहित सभी बांधों में भारी देखा गया। चार्ट तेल के बांधों में आज से पेट्रोल डीजल महंगा हो गया है तो गैस के बांधों में से सीएनजी जाम महंगा हो गया है। खाने के तेल के डैम से लेकर गेंहू के डैम स्काई शू लगें। असमंजस के बांध में फंसने से प्राधिकरण की लागत घटी। जिसका भार ट्रस्ट ने ग्राहकों को ऊपर डाला दिया। एफएमसीजी से लेकर कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और ऑटो अथॉरिटीज ने अपने उत्पादों के दामों में दे दिया। इस चूक ने मिडिल कक्षा के बजट को पूरा नहीं किया।
लापरवाही के कारण ईएमआई भी जोखिम!
रूस के यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई के तुरंत बाद तेज आई। मई 2022 से प्राधिकरणों ने पूरे तौर पर नकेल कसने के लिए जमा कर्ज के दौर को खत्म करते हुए अपनी शेयर दरों को बढ़ाना शुरू किया। अप्रैल 2022 में दर्ज दर 7.79 प्रतिशत रही और उसके लंबे समय तक दर्ज दर 7 प्रतिशत के ऊपर बनी रही। जिसके बाद प्रमाण पत्र ने पांच मॉनिटरी पॉलिसी की परत में हर बार रेपो रेट में खाते की। जो रेपो रेट अप्रैल 2022 तक 4 फीसदी हुआ था वो अब 6.25 फीसदी यानी 2.25 फीसदी महंगा हो गया है। सब्सिडियरी के इस फैसले के बाद गंभीर से लेकर हाउसिंग फाइनैंस ने कर्ज महंगा कर दिया। जिन लोगों ने पहले घर से लोन लिया था, उनकी ईएमआई बहुत अधिक लग गई और जो लोग लोन लेने की सोच रहे थे उनके लिए कर्ज लेना महंगा हो गया।
पक्का रसोई, ईंधन का बजट पूरा नहीं होगा!
कोरोना की पहली लहर के दौरान जब लॉकडाउन जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में चार्ट तेल के दामों में भारी कमी के बाद सरकार ने पेट्रोल पर 13 रुपये तो डीजल पर 16 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी लगा दी। तब सरकार पेट्रोल पर 32.9 रुपये और डीजल पर 31.8 रुपये एक्साइज देय कर रही थी। 4 नवंबर 2021 को क्रूड ऑयल के बांधों में भारी उछाल के बाद सरकार ने पेट्रोल पर 5 रुपये और डीजल पर 10 रुपये एक्साइज का घटाया। इसके बाद रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद जब सरकारी तेल प्राधिकरण के दामों में रुकने के बाद पेट्रोल डीजल महंगा हो गया तब सरकार ने मई 2022 में पेट्रोल पर 8 रुपये और डीजल पर 6 रुपये लीटर एक्साइज ड्यूटी की लेआउट की थी। हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्टार तेल के दामों के 120 डॉलर से घटक 82 डॉलर प्रति बैरल तक गिरने के बाद भी तेल प्राधिकरण करने वाले हम लोगों को राहत नहीं दे रहे हैं। वहीं किचन गैस भी महंगी हो गई है। 2022 में 150 रुपये प्रति सिलेंडर रसोई गैस के दाम पहुंच रहे हैं और अब 1053 रुपये एक एलपीजी सिलेंडर दिल्ली में मिल रहा है। सीएनजी और गेयर के दामों में भी भारी उछाल आ गया है।
परिमाण के डर ने अवधि चिंता!
रूस यूक्रेन युद्ध के चलते डिमांड-प्लाई गैप के कारण हर किसी में जबरदस्ती हुई है। गैर-कानूनी तरीके से अमेरिका यूरोप के कुछ खास लोगों का कर्ज महंगा है। इसके चलते इन देशों में आंशिक मंदी की आशंका जताई जा रही है। कंपनियों का खर्च कम करने के लिए जबरदस्ती खींचने लगी है जिसमें वैश्विक आईटी कंपनियां भी शामिल हैं। भारत फाइवी का बड़ा एक्सपोर्टर है। ये विकसित देशों में आने वाले आर्थिक संकट का असर भारत पर भी पड़ सकता है। ऐसे में वैश्विक मंदी की किसी भी संभावना से समाधान के लिए मोदी सरकार की वैसी ही तैयारी करनी होगी, जैसी 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट के घटाव से निपटने के लिए की गई थी।
मिडिल क्लास को क्या राहत मिलेगी
वित्त मंत्री जब कह रहे हैं कि उन्हें मिडिल क्लास की तकलीफ का एहसास है तो सवाल उठता है कि क्या मोदी सरकार अपने आखिरी पूर्ण बजट में मिडिल क्लास को राहत देती है? क्या टैक्स का बोझ कम होगा? क्या देरी से राहत मिलेगी? हालांकि मिडिल क्लास के दर्द का वित्त मंत्री को कोई एहसास होता है तो एक फरवरी 2023 को बदलेगा।
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