सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड्स इंडिया : केंद्र सरकार की तरफ से पहली बार ग्रीन बॉन्ड (Green Bond) की तरह पैसे पर जोर दिया जा रहा है. इसे आरबीआई लेकर सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड (सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड) की पहली किस्त जारी भी हो गई है। डेडिकेटेड ग्रीन फंड्स के साथ एलियन पोर्टफोलियो (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक), स्थानीय शेयर (स्थानीय बैंक), बीमा कंपनियां (बीमा कंपनियां) के साथ सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड की नीलामी के लिए बाजार में जारी किया गया है। जानिए इससे जुड़ी पूरी जानकारी क्या है..
आरबीआई बैंक ने क्या कहा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंडियन रिजर्व बैंक (RBI) का कहना है कि सेंटर सरकार ने 80 अरब रुपये (1 अरब डॉलर) की निर्यात किया है। इसमें 10 साल के लिए 40 अरब रुपये और बाकी के 5 साल के लिए इशू जारी किए गए हैं। 10-चक्र बंधन की कीमत 7.29 प्रतिशत के नियम निर्धारित हैं, जो समान रूप से मैच्योरिटी सॉवरेन ऋण से 6 आधार बिंदु से कम है।
9 फरवरी को दूसरी किश्त जारी होगी
आरबीआई ने 25 जनवरी 2023 को 8000 करोड़ रुपये केवरेन ग्रीन बॉन्ड की पहली किस्त जारी की है। इसमें 4000 करोड़ वाले ग्रीन बॉन्ड (ग्रीन बॉन्ड) 5 साल के लिए और दूसरे 4000 करोड़ रुपये वाले सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड 10 साल के लिए जारी किए गए हैं। इसकी दूसरी किस्त 9 फरवरी 2023 को 8000 करोड़ के सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड के तौर पर जारी होगी। इसमें 4000 करोड़ वाले ग्रीन बॉन्ड 5 साल के लिए और दूसरे 4000 करोड़ रुपये वाले सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड 10 साल के लिए जारी कर देंगे।
16 हजार करोड़ बनाए रखेंगे
मोदी सरकार ने वित्त वर्ष यानी 31 मार्च 2023 तक ग्रीन बॉन्ड से 16000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है। इसके लिए सरकार ने स्वच्छ ऊर्जा के लिए सस्ते सस्ते पैसे पर देने के लिए ये कदम उठाया और उम्मीद है कि यह प्रयास शानदार रहेगा। प्राप्त बोलियां प्रस्ताव पर राशि के 4 दावे से अधिक मूल्य की थीं, 5 साल के बंधन को 32 सहमति को और 10 साल को 57 अधिकार को अधिकार दिया गया था।
बॉन्ड से सरकार को फायदा होगा
रिपोर्ट्स के मुताबिक, वही कारोबारियों का कहना है कि इस पहले इशू में बड़े पैमाने पर घरेलू कारोबारियों की नजरें जा रही हैं। आगे चलकर ग्लोबल शार्क की मांग बढ़ने की उम्मीद है। स्थानीय सामाजिक और म्युचुअल फंडों के पास इन ग्रीन बॉन्ड्स में निवेश करने के लिए कोई भारी जनादेश नहीं है, वे अन्य स्थिर बॉन्ड्स के समान जारी कर सकते हैं। बीमा उद्यम को इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश के रूप में उन्हें आवेदन करने की अनुमति दी गई है। इन बंधनों से सरकार की बचत में भारी कमी या ऋण की सीमा में कमी नहीं हो सकती है।
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