आर्थिक सर्वेक्षण: पीएम गति शक्ति, राष्ट्रीय रसद नीति और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं जैसे कदमों से भारत की आर्थिक वृद्धि को समर्थन मिलेगा। वित्त वर्ष 2022-23 की आर्थिक समीक्षा में यह अनुमान लगाया गया है। मंगलवार को संसद में आर्थिक समीक्षा पेश की गई है, जिसके अनुसार पिछले आठ वर्षों में व्यापक रेल और जलमार्गों में अप्रत्याशित विस्तार देखने को मिला है। इस दौरान भटकाव और हवाई को भी आगे बढ़ाया गया है। आर्थिक समीक्षा यह है कि भारत में लॉजिस्टिक्स की लागत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 14-18 प्रतिशत के दायरे में है, जबकि इसका वैश्विक मानक आठ प्रतिशत है।
पीएम गति शक्ति- राष्ट्रीय मास्टर प्लान की गति ऐसी है
सरकार वर्ष 2021 में पीएम गति शक्ति-राष्ट्रीय मास्टर प्लान लेकर आई थी। इसके माध्यम से रूपरेखा परियोजना से संबंधित विभागीय जॉइनों को खत्म कर उनका समग्र और एकीकरण करने के साथ-साथ सुनिश्चित करने का लक्ष्य है। इस तरह बहु-मजेदार और अंतिम गंतव्य तक पहुंच सुविधा बहाल करने का इरादा है। नेशनल मास्टर प्लान (एनआईपी) में सड़क, रेल, हवाई अड्डा, बंदरगाह, सार्वजनिक परिवहन, जलमार्ग और लॉजिस्टिक्स को सात ‘इंजन’ के रूप में देखते हुए उन्हें पीएम की गति शक्ति में समायोजित किया गया है।
राष्ट्रीय तार्किक नीति से आर्थिक गति को सहायता मिलेगी
आर्थिक समीक्षा के अनुसार, विभिन्न ढांचेगत परियोजनाओं की रूपरेखा केंद्र और राज्यों के स्तर पर समग्रता और सम्मिलन के साथ सितंबर, 2022 में राष्ट्रीय रसद नीति घोषित की जाएगी। समीक्षा का कहना है, ”इन सभी प्रयासों से ढांचेगत क्षेत्रों की कठिन यात्रा से संबंधित कार्यों को दूर करने की उम्मीद है। इस यात्रा में केंद्र, राज्य, स्थानीय निकाय और निजी क्षेत्र सभी की भागीदारी है।”
घरों के बांध कोरोनाकाल के दौरान दो साल के दौरान ‘मंदा’ रहने के बाद अब फिर जाम शुरू हो गए हैं। मांग बढ़ने से बेरोजगार घरों की संख्या भी कम हो रही है। मंगलवार को संसद में आर्थिक समीक्षा पेश करने की जानकारी दी गई है। समीक्षा में कई निर्माण पर लगाया गया शुल्क कम किए जाने से अटकलबाजी के कारण कम होने की उम्मीद है।
घरों की बिक्री है- आर्थिक सर्वेक्षण
समीक्षा के अनुसार इस वित्त वर्ष में होम लोन पर वृद्ध ब्याज और आय के संबंध में भत्ता जैसी बाधाओं के बावजूद घरों की बिक्री मिलती है। इससे देश के संपत्ति बाजार में सुधार आया है। रिव्यू में कहा गया है कि होम लोन की मांग बढ़ने की वजह से ‘दबी मांग’ का प्रदर्शन होता है। समीक्षा में कहा गया है कि वैश्विक आपूर्ति को प्रभावित करने वाले रूस-यूक्रेन युद्ध से लागत बढ़ने के कारण घरों के बांध के पट्टे बन गए थे।