1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मल ने लगभग 45 लाख करोड़ का बजट पेश किया। ये 2024 के विधानसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पूरा बजट है। इस बजट में एक तरफ जहां आयकर की सीमा को बढ़ाकर 5 लाख से 7 लाख रुपये कर दिया गया है, वहीं वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं के लिए बचत पर ध्यान भी लगाया गया है। लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या प्रविष्टि पर और जॉब को जाग्रत करता है
क्या कहते हैं जानकार
इकोनॉमिक्स के दृष्टिकोण आहूजा ने एबीपी से बातचीत में कहा, ‘देश के अंदर झलकना बहुत ज्यादा है। इस वजह से मुझे नहीं लगता कि टैक्स में 7 लाख रुपये सालना पाने वालों को छूट से ज्यादा कुछ फायदा होगा। अगर आप देखें तो आर्थिक सर्वेक्षण से ही ये जाहिर हो गया था कि कैपिटल एक्सपेंडिचर का बजट बढ़ेगा और इस बार के बजट में भी बढ़ोतरी होगी।
उन्होंने आगे कहा, ‘अगर आप बेरोजगारी दर देखें, तो आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक जो अनपेड सेल्फ एंप्लॉयड लोग हैं, वो अब ज्यादा बढ़ गए हैं। जब यहां पर बेरोजगारी इतनी है, तो आप मांग कैसे बढ़ाएंगे। लेबर मार्केट में बेरोजगारी दर के होश से खतरे की घंटी है। महिलाओं की भागीदारी की दर भी कम हो गई है। महिलाओं के लिए समझौता तो काफी हद तक बताया गया है, लेकिन लेबर फोर्स में महिलाओं की भागीदारी काफी कम है।’
2022-23 में कैसे स्थिर आर्थिक परिवर्तन, क्या प्रभाव डालेगा
- इकोनॉमिक सर्वे में बताया गया है कि साल 2022-23 में देश में आर्थिक बदलाव आया है। इस वृद्धि की वजह कोरोना की बाद में मांग में है। साल 2022 के पहले कुछ महीनों में व्यवहार बढ़ा और सरकार की तरफ से किए गए खर्चे बताएं।
- इन तीनों कारणों से दो कारणों से आने वाले बजट के लिए डरावना इशारा कर रहे हैं, क्योंकि कोरोना के कारण लॉकडाउन के बाद मिलने के बाद मांग के अगले साल और बढ़ने के आसार नहीं है।
- दूसरा कारण है धोखाधड़ी में धोखा। लेकिन आने वाले साल में भी बढ़ने की भी कम ही संभावना है। वैश्विक स्तर पर मांगें जुड़ रही हैं यूरोपीय देशों में तो बढ़ने के आसार ही नहीं दिख रहे हैं।
सरकार के खर्च में वृद्धि का विकल्प
इस बार के बजट में कहा गया है कि केंद्र सरकार अगले साल अपनी ओर से 100 खरब रुपये खर्च करेगी जो वित्त वर्ष 2022-23 के लिए करीब एक-तिहाई ज्यादा होगा। इस खर्च से देश में सरकारें नौकरशाही और आर्थिक बदलाव लाने की कोशिश कर रही हैं।
इसके अलावा भारत के नौकरीपेशा को मिले इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने कुछ योजना बनाई है। टूरिज्म को मिशन मोड में इन योजनाओं को बढ़ाना एक है।
उदाहरण के तौर पर अगर बनारस और अयोध्या जैसे शहरों में बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं तो यहां रोजगार में वृद्धि देखेंगे। रिपोर्टर के आने से, रेस्तरां और रहने वालों की भी मांग। ये लोग आय का एक जरिया बनेगा।
नौकरी करने की योजना
वित्त मंत्री निर्मल सीतारामन ने वित्त वर्ष 2023-24 का आम बजट पेश करने के दौरान कहा कि केंद्र सरकार प्रधानमंत्री सहायता विकास योजना 4.0 जारी की हैं। इसके तहत सरकार के युवाओं को अंतरराष्ट्रीय अवसरों के लिए कुशल बनाने के लिए अलग-अलग राज्यों में 30 जब्ती इंडिया इंटरनेशनल सेंटर अधिकार स्थापित करते हैं।
इस योजना के अगले तीन वर्षों में लाखों युवाओं को तैयार किया जाएगा। 5जी सेवाओं का उपयोग करके लैब दिया जाएगा साथ ही ऐप डेवलप करने की कार्यक्षेत्र आने की उम्मीद की जा रही है।
जानकारों ने क्या महसूस किया
प्रोफेसर आहूजा ने कहा, ‘इस बार के बजट में नई नौकरी की बात ज्यादा नहीं हुई है। जैसे कि वित्त मंत्री निर्मल स्पष्टता ने कहा कि लैब में जो डायमंड बनाए जाते हैं, वो इनोवेशन और टेक्नोलॉजी ड्राइवेन सेक्टर हैं। हम कह रहे हैं कि भारत का कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ा है। इसी फ्लो में तो काफी उत्साह बना रहता है और प्राइवेट सेक्टर में निवेश बढ़ता है। लेकिन बात ये है कि आप ऑटोमेशन यानी मशीनीकरण की तरफ जा रहे हैं। ऑटोमेशन से रोज़गार की या रूटीन जॉब को काफी नुकसान हो रहा है। रोजगार कम होगा तो आय कम होगा। आय के कम होने से कनेक्शन की मांग भी कम होगी।’ जाहिर है मांग और आपूर्ति के संतुलन से अर्थव्यवस्था को झटका लगता है।
जनसंख्या के होश से रोजगार चाहिए
प्रोफेसर आहूजा ने कहा कि भारत कुछ दिन में आबादी में चीन से भी आगे निकल जाएगा। हमारे देश की जनसंख्या बहुत अधिक है। यहां गरीब भी बहुत हैं। कुपोषण भी बहुत ज्यादा है। प्रमाणीकरण दर तो 6% हासिल हो जाएगी, लेकिन समस्या ये है कि किस होश से हमारी जनसंख्या में वृद्धि हो रही है, उनके लिए रोजगार के अवसर नहीं बनेंगे तो काम कैसे होगा। आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी कहा गया था कि कोरोना महामारी के बाद हमारा के रैप रिकवर हो गया है।
के शेप का मतलब होता है कि जो अमीर लोग हैं, उनका आनंद हुआ है, बकियों को नहीं हुआ है। लेकिन आर्थिक सर्वेक्षण में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है। बजट में सरकार ने ऐसा कुछ नया नहीं किया है। इसमें सिर्फ अनुबंध में बताया गया है कि हमारा एक्सपेंडिचर क्या होगा, रेवेन्यू क्या होगा।
सिगरेट को हेल्थ आश्यू के नजरिए से नेगेटिव गुड्स माना जाता है, इसलिए सिगरेट पर ड्यूटी आढ़ती है। सिल्वर पर ड्यूटी बढ़ाने से जाहिर होता है कि हम प्रोटेक्शनिज्म (संरक्षणवाद) और आत्मनिर्भरता भारत की ओर बढ़ रहे हैं। ये बहुत अच्छा है, लेकिन मुख्य रोजगार है। रोजगार के अवसर बढ़ाना।