नेपाल से शालिग्राम: अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में स्थापित होने वाले नेपाल की दो शालिग्राम शिलाएं अयोध्या तक पहुंच चुकी हैं। भगवान विष्णु का स्वरूप देखने वाले इन शिलाओं का रामनगरी में भव्य अभिनंदन किए गए। इन शिलाओं से ही भगवान रामलला की भव्य प्रतिमा का निर्माण किया जाएगा। इस शिलाओं के आने में दोनों देशों की क्या भागीदारी हो रही है, इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने रुख स्पष्ट कर दिया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “अयोध्या में बनने वाली राम प्रतिमा के लिए नेपाल से शालिग्राम पत्थर जाने पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और प्राचीन संबंध हैं।” हालांकि, इन शिलाओं में आने वाली ब्राजीलियाई की क्या भूमिका है, इसकी जानकारी विदेश मंत्रालय के पास नहीं है। बागची ने कहा, “इसमें दोनों देशों की क्या भूमिका है, इसकी जानकारी नहीं है। इसलिए इस पर मैं ज्यादा कुछ बोल नहीं पाऊंगा।”
अयोध्या में बनने वाले राम की प्रतिमा के लिए नेपाल से शालिग्राम स्मारक देखने पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनो देशों के बीच ऐतिहासिक और प्राचीन संबंध हैं… pic.twitter.com/ASXJkoa3W7
– मधुरेंद्र कुमार मधुरेन्द्र कुमार (@ madhurendra13) फरवरी 2, 2023
छह करोड़ साल पुरानी शिलाएं हैं
जानकारी के मुताबिक ये दोनों शिलाएं छह करोड़ साल पुरानी हैं। इन शिलाओं का उपयोग राम मंदिर में श्री भगवान राम के बाल्य स्वरूप की मूर्ति और माता सीता की मूर्ति बनाने के लिए किया जाएगा।
रामसेवकपुरम लेआउट शिलाएं
127 क्विंटल की शिलाएं नेपाल से सड़क मार्ग से आई हैं, जो बिहार के रास्ते में होते हुए अयोध्या हैं। गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर के संतों ने शिलाओं का भव्य स्वागत किया था। इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनने और गोरखनाथ मंदिर में शालिग्राम देवशिला के दर्शन के लिए सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु भी उपस्थित रहे। शिला यात्रा- जहां से गुजरी उनका स्वागत हुआ। जानकारी के अनुसार, शालिग्राम शिलाओं को रामसेवकपुरम स्थित योजना में रखा जाएगा।
नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री ने क्या कहा?
शिलाओं को अयोध्या समय नेपाल के पूर्व उप प्रधान मंत्री ने कहा था, “भारत के साथ नेपाल का जो संबंध है, वो अनंत काल तक बना रहेगा। जो राम मंदिर अयोध्या में बन रहा है, जिसके लिए बन रहा है, वो राम ही हैं। वो श्रीराम का अवतार नेपाल के काली गंड की नदी के शिला से जा रहा है। ये उमंग, गर्व और खुशी की बात है। नेपाल की सरकार और पूरी जनता ने तन-मन से इस शिला को और हस्ततपरित करने में साझीदारी दिखाई दिया है। ये रिश्ता और प्रगाढ़ होगा। ये भगवान श्रीराम की कृपा है कि भारत की सर्वोच न्यायालय ने विवाद का निपटारा किया।
ये भी पढ़ें-पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा पर भारत बोला- उचित समय पर की जाएगी घोषणा