डिजिटल उपवास : आपने देखा होगा कि साल दर साल हमारा स्मार्टफोन इस्तेमाल करने का समय बढ़ता जा रहा है। पहले बहुत कम टीवी भी देखते थे, लेकिन अब तो टीवी रनर स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं। स्मार्टफोन की दुनिया में कोई सोशल मीडिया गुम है तो कोई वीडियो देखने में मगन. आज के समय पर बच्चेचो से लेकर किताबों तक के हाथ में स्मार्टफोन नजर आता है। अब तो तस्वीरों के लिए कोई कैमरा नहीं बल्कि स्मार्टफोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। लोगों ने वो लोग बनाना शुरू कर दिए हैं। अब लोग ट्रिप पर मन को शांत करने के लिए नहीं, बल्कि स्मार्टफोन से वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर डालने के लिए जा रहे हैं।
मैंने स्मार्टफोन के इर्द-गिर्द अपनी एक छोटी-सी दुनिया बना ली है। हालांकि स्मार्टफोन से इतनी रोज़ी-रोटी की आदत बिल्कुल ठीक नहीं है। ऐसे में डिजिटल फास्टिंग का एक अच्छा उपाय सामने आया है। आइए इसके बारे में जानते हैं।
डिजिटल फास्टिंग क्या है?
डिजिटल फास्टिंग संदेश के एक दिन या एक सप्ताह में स्मार्टफोन के उपयोग की सीमा निर्धारित करता है। डिजिटल फास्टिंग में लोग निर्धारित समय के अनुसार तकनीक का उपयोग करते हैं। इस फास्टिंग में आमतौर पर टैबलेट या लैपटॉप को शामिल किया जाता है। डिजिटल फास्टिंग को कई नामों से जाना जाता है जैसे- डिजिटल डिटॉक्स, विशिष्ट फास्टिंग, तकनीक से अनप्लगिंग और डिजिटल सब्बाथ आदि।
डिजिटल फास्टिंग के फायदे
- डिजिटल फास्टिंग को आपके रूटीन में शामिल करने से आपके रिश्ते मजबूत बनते हैं।
- आप उत्पादक काम कर रहे हैं।
- आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।
- आपको अच्छे कामों के लिए समय मिल जाता है।
डिजिटल फास्टिंग क्यों जरूरी है?
लोगों में समय के साथ स्क्रीन से चिपकी हुई लत में फंस जाती है। सूचनाओं पर नजर डालें तो समय के साथ यह लता ही जा रही है। भारत में लोग 2019 में करीब साढ़े तीन घंटे स्क्रीन पर रहते थे। 2021 में भारतीयों ने साल के 6 हजार 550 करोड़ घंटे मोबाइल पर स्क्रीन पर क्लिक किया। 2019 की तुलना में हमें 37 प्रतिशत का कारण देखने को मिला। फोन पर रहने के मामले में हमारा देश दुनिया में ब्राजील, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया और मैक्सिको के बाद पांचवें नंबर पर आता है। अब लोग लगभग 6 घंटे का अपना फोन स्क्रीन पर देने लगे हैं।
डॉक्टर डिजिटल फास्टिंग के लिए कब कहते हैं?
वहीं, युवाओं के मामले में तो विषय और भी सख्त है। यंग ऑनलाइन डेली करीब 8 घंटे गुज़ार रहे हैं। फोन पर घंटों रहने का सीधा असर स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। सोशल मीडिया की लोगों की लत के बर्ताव और स्वभाव को आकर्षित करना पड़ रहा है। मानसिक परेशानी बढ़ रही है। परेशानी से बहुत अधिक बढ़ने पर डॉक्टर डिजिटल डिटॉक्स या डिजिटल फास्टिंग की सलाह देते हैं।
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