सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम और एलसीवी गौरी: मद्रास उच्च न्यायालय में वरिष्ठ जज नियुक्त होने जा रही वकील लक्ष्मणा विक्टोरिया गौरी (लक्ष्मना चंद्रा विक्टोरिया गौरी) के खिलाफ कुछ वकील सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। उन्होंने आरोप लगाया कि गौरी बीजेपी (बीजेपी) के सदस्य हैं। साथ ही, यह भी कहा गया है कि उन्होंने इस्लाम और ईसाई धर्म के प्रचार और विस्तार के तरीकों पर एक से अधिक आपत्तिजनक लेख लिखे हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़) ने कल यानी मंगलवार 7 फरवरी को सुनने की बात कही है.
कॉलेजियम ने एलसीवी गौरी का नाम भेजा था
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता 3 सदस्यीय कॉलेजियम ने 17 जनवरी को एलसीवी (एलसीवी) गौरी के नाम की शॉर्ट शॉप सरकार को जिम्मेदार ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने मद्रास हाई कोर्ट (मद्रास हाई कोर्ट) की ओर से भेजे गए नामों में विक्टोरिया गौरी समेत 8 नाम भेजे थे और फिर उन्हें सरकार के पास भेज दिया था। उनमें से 5 लोगों को 2 साल के लिए मद्रास हाई कोर्ट के विभिन्न जजों की नियुक्ति का नोटिस सोमवार (6 फरवरी) को जारी किया गया।
मद्रास हाई कोर्ट के कुछ लोगों में एतराज था
मद्रास उच्च न्यायालय के कुछ लोगों ने कॉलेजियम की तरफ से विक्टोरिया गौरी की शाम सरकार को भेजे के बाद पत्र लिखकर विरोध जता दिया था। उन्होंने कहा था कि विक्टोरिया गौरी ने कुछ ऐसे लेख लिखे हैं जिनमें उन्होंने लव इस्लामिक जिहाद के अलावा दक्षिण भारत में ईसाई मजहब के विस्तार के तरीकों को देश के लिए खतरनाक बताया था। इन सभी का कहना था कि इस तरह की राय रखने वाली महिला को हाई कोर्ट का जज बनाना सही नहीं होगा। सोमवार (6 फरवरी) कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी पैरवी की।
याचिकाकर्ता एक पक्ष से वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन ने सर्वोच्च न्यायालय में मामला रखा। शुरू में चीफ जस्टिस ने शुक्रवार (10 फरवरी) को सुनवाई की बात कही, लेकिन थोड़ी देर बाद राजू रामचंद्रन फिर से कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने बताया कि सरकार ने विक्टोरिया गौरी को जज नियुक्त करने की सूचना जारी कर दी है। इसलिए, केस पर तुरंत सुनना जरूरी है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि उनके नाम की अटैचमेंट करने के बाद कुछ सामग्री कॉलेजियम की जानकारी में आई है। कॉलेजियम ने भी उस पर संज्ञा लिया है। हम कल ही यह मामला सुनेंगे। इसके लिए एक बेंच का गठन किया जाएगा।
क्या सुप्रीम कोर्ट रोकेगा नियुक्ति?
कानूनी गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा है कि कौन सा सर्वोच्च न्यायालय अपनी ओर से अधिकृत होने के लिए भेजा गया है और उसे सरकार से मंजूरी मिल जाने के बाद भी एक जज की नियुक्ति रोक देगा। ध्यान रहे कि 19 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट में नियुक्ति के लिए वकील सोमशेखर सुंदरेशन के नाम के लिए शटर के पास दोबारा दिए गए कहा था कि सिर्फ अपनी राय रखना किसी को जज होने के असम्बद्ध नहीं बनाता है। सोमशेखर के बारे में आबकारी ने रिपोर्ट दी थी कि वह लगातार केंद्र सरकार विरोधी राय सोशल प्लेटफॉर्म पर बोल रहे हैं।
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