भारत चीन संघर्ष: भारत की चीन से सीमाओं को लेकर देश के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार (8 फरवरी) को एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि पूर्वी अलर्ट (पूर्वी लद्दाख) में 33 महीने से जारी सीमा गतिरोध के बीच भारत ने स्पष्ट ‘सामरिक कारण (रणनीतिक कारण) से चीन के साथ साझेदारी उत्तरी सीमाओं पर झलक के सामने गतिरोध पर ध्यान केंद्रित किया है। जयशंकर ने पासपोर्ट के एक समूह को बताया कि ईमेल क्षेत्र में 135 किलोमीटर तक नीति नीति से महत्वपूर्ण चुशुल-डंगती-फुकचे-डेमचोक सड़क पर काम पिछले महीने शुरू हुआ था।
‘सैनिकों की दोबारा शुरुआत के लिए लाइन पर जाएं’
विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि चीन के साथ मिलकर सीमाओं पर सैनिकों को फिर से बनाए रखने के लिए 16 प्रमुख दर्रों को रिकॉर्ड समय में बनाए रखने की जरूरत है और पिछले वर्षों की तुलना में बहुत पहले खोल दिया गया है। दरअसल अरूणाचल प्रदेश, सिक्किम और अलर्ट में सीमावर्ती क्षेत्रों से कुछ पहाड़ी दर्रों को भीषण सर्दी के महीनों में भारी हिमपात के कारण बंद कर दिया जाता है।
सरकार की पासपोर्ट के बारे में जयशंकर ने कहा कि 2014 से 2022 तक चीन की सीमाओं पर 6,806 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया गया, जो कि 2008 और 2014 के बीच 3,610 किलोमीटर सड़क से लगभग निर्मित है। चीन से लगी सीमा पर पुलों के निर्माण के संबंध में उन्होंने कहा कि 2008 से 2014 तक पुलों की कुल चौड़ाई 7,270 मीटर थी, जबकि 2014 से 2022 के बीच यह बढ़कर 22,439 मीटर हो गई। जयशंकर ने कहा,”’स्पष्ट स्पष्ट ”सामरिक कारण” से चीन के साथ साझेदारी उत्तरी सीमाओं पर कदम के तेजी से विकास पर ध्यान केंद्रित है।”
‘बुनियादी व्यवस्था के निर्माण के लिए नई तकनीकों पर जोर देना होगा’
विदेश मंत्री ने कहा कि 13,700 फुट की ऊंचाई पर स्थित बलीपारा-चारद्वार-तवांग रोड पर सेला सुरंग के निर्माण से भारतीय सेना का तवांग के निकट वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तक हर मौसम में संपर्क बना रहेगा। इसमें दो सुरंगें हैं – एक 1,790 मीटर लंबी, दूसरी 475 मीटर लंबी। सुरंग का निर्माण अगस्त तक पूरा होने की उम्मीद है।
एक बार इसका निर्माण पूरा हो जाने के बाद, यह 13,000 फुट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित दुनिया की सबसे लंबी दो लेन वाली सुरंग होगी। विदेश मंत्री ने अत्यधिक ऊंचाई वाले और दुर्गम सीमा क्षेत्रों में प्राथमिकताओं के निर्माण के लिए नई योजनाओं को दान की भी बात कही। जयशंकर ने नेपाल, बांग्लादेश और भूटान सहित पड़ोसी देशों के साथ विभिन्न संपर्क परियोजनाओं पर भी प्रकाश डाला।
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