बाबा महाकाल को रमाई गई भस्म
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विशिष्ट के मंदिर मे भले ही महाशिवरात्रि का पर्व प्रमाण हो जाए, लेकिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में अभी भी महाशिवरात्रि उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में रविवार दोपहर 12:00 बजे भगवान महाकाल की भस्म आरती हुई। साल भर में एक बार दोपहर को भस्मआरती होती है। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि उत्सव 10 दिनों तक मनाया जाता है। शिव नवरात्रि के नौ दिनों तक भगवान महाकाल को दूल्हा बनाया जाता है। इसके बाद महाशिवरात्रि पर्व पर राजाधिराज भगवान महाकाल का सेहरा देखते हैं। महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि का पर्व शिव पार्वती के विवाह के रूप में मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि के अगले दिन भगवान महाकाल के हरे का पूजन होता है। रविवार को सेहरे का पूजन होने के बाद भव्य भस्म आरती हुई। भस्मारती को देखने के लिए दूर से लाखों श्रद्धालु पहुंचे थे। पंडित महेश पुजारी के अनुसार भगवान महाकाल का महाशिवरात्रि पर्व पर सेहरा जाता है। बाद में प्रात: काल सेहरे के दर्शन होते हैं। परंपरा अनादि काल से चली आ रही है। इसी वजह से महाशिवरात्रि के दूसरे दिन भस्म आरती दोपहर में कमाई की जाती है। आरती के साथ महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व का समापन हुआ। राजाधिराज भगवान महाकाल को भस्म आरती के पूर्व दूध, दही, ग्रीष्म, सावन के रस के साथ स्नान घोसित किया गया। इसके बाद भगवान का द्रवित मेवे और भांग से आकर्षण बना। राजाधिराज का वक्र होने के बाद महानिवार्णी अखाड़े के महंत विनीत प्रतिमा द्वारा भस्मारती की गई।
साल में एक बार दिन में होती है भस्मारती
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल मंदिर विश्वप्रसिद्ध मंदिर है। यहां महाशिवरात्रि, सावन मास के स्मारकों पर शिव भक्तों की भारी भीड़ होती है। महाकाल में भस्म आरती बहुत ही मुख्य वक्र व आरती है, जिसके दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रृद्धालु आते हैं। भस्म आरती प्रतिदिन चार बजे टूट जाती है, लेकिन साल में सिर्फ एक दिन होता है जब महाकाल की भस्म आरती का समय चौराह से अपराह्न 12 बजे टूट जाता है। इस दिन महाकाल मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए खाते हैं।