क्रिसिल द्वारा खाद्य मुद्रास्फीति अनुमान: केंद्र सरकार देश में व्हीट की खुली बिक्री और खाने के तेल के तेल पर आयात शुल्क जैसे उपायों से गोपनीयता दायित्वों को ध्यान में रखने का प्रयास कर रही है पर अब एक ऐसी खबर आई है जो सरकार के लिए चिंता की वजह हो सकती है।
जीवाणु परिवर्तन की जैविक, मजबूत वैश्विक और घरेलू मांग के कारण अगले वित्त वर्ष यानी 2023-24 में अनाज सेल उच्च स्तर पर बने रह सकते हैं। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने यह जानकारी दी है। क्रिसिल ने स्पष्ट रूप से कहा है कि हाल के अनुभव से पता चलता है कि अनाज के समझौतों और वृद्धि की संभावना नहीं है, लेकिन वैश्विक कारणों से देश में अनाज के दाम में वृद्धि हो सकती है जिसके कारण खाने-पीने के सामान की देनदारी में देखा जा सकता है जा सकता है।
क्रिसिल की रिपोर्ट में What is Special
क्रिसिल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 50 वर्षों में अनाज का घरेलू उत्पादन लगातार बढ़ा है, लेकिन इसकी साख कहीं अधिक तेजी से आई है। वित्त वर्ष 2017-22 के दौरान अनाज की जलन के लिए भारित औसत घटाव गुणांक गुणांक आधार पर 3-4 प्रतिशत रहा है।
चालू वित्त वर्ष में भी हुआ महंगा अनाज- आगे के लिए क्या है अनुमान
इसमें यह भी कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में भी पहले नौ महीनों में भी अनाज के प्रमाणपत्र में काफी वृद्धि हुई है। व्हीट और धान में 8-11 प्रतिशत और मक्का, ज्वर और बजरा में 27-31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
क्रिसिल ने कहा, “अनाज रिश्ते के लिए नौकरशाही का समग्र रूप से मजबूत रहने की उम्मीद है।” मौजूदा रबी सत्र में व्हीट अधिक प्रोडक्ट की उम्मीद से स्टॉक की स्थिति में सुधार आएगा, जिससे एक्सपोजर पर दबाव कम हो सकता है। यदि सामान्य मैगजीन का फैलाव अच्छा रहता है तो धान, मक्का और बाजारा जैसी खरीफ के लिए उत्पाद की उम्मीद सकारात्मक होगी।
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