सरसों तेल के भाव: इस रबी सीजन में रिकॉर्ड बुकी के आधार पर सरसों के रिकॉर्ड का उत्पादन रिपोर्ट है। ऐसे में पिछले एक महीने में सरसों के दामों में बड़ी गिरावट भी देखने को मिली है। सरसों का दाम 8 प्रतिशत के करीब 5925 रुपये प्रति क्विंटल पर चुकाया जाता है। जिसके बाद सरसों के तेल में के दाम में गिरावट की संभावना बन रही है। हालांकि फरवरी महीने में ही गर्मी का पारा जिस प्रकार बढ़ रहा है उससे चिंता भी बढ़ गई है।
चालू वर्ष में सरसों का उत्पादन 125 लाख टन रहने का अनुमान है जो पिछले वर्षों में 7 प्रतिशत अधिक है। चालू रबी सीजन में रिकॉर्ड 98 मिलियन हेक्टेयर में सरसों की बुआई हुई है जो पिछले कई सालों में कहीं ज्यादा है। 2021-22 में सरसों की बुआई 91 लाख हेक्टेयर में हुई थी। उत्पादन बढ़ने से तिलहन का अधिक उत्पादन होगा। इससे खाने के तेल के आयात में कमी आने से नुकसान होगा।
भारत अपनी कुल खपत का 56 फीसदी खाने का तेल आयात करता है। 2021-22 में भारत ने 1.5 लाख करोड़ रुपये का खाने का तेल आयात किया था। भारत कुल खपत का केवल 44 प्रतिशत ही खुद का उत्पादन करता है जिसमें सरसों की रेटिंग 39 से 40 प्रतिशत है।
लेकिन बढ़ती गर्मी से सरसों के घटने के लिए चिंता बढ़ी है। बारिश और ठंड से सरसों का रिकॉर्ड अनुमान लगाया गया था। लेकिन आगे बढ़ने से सरसों की तेजी जल्दी पकड़ रही है। गर्मी की बढ़ोतरी पर सरसों के मुनाफे के लिए ठीक नहीं है। इससे किसानों को नुकसान हो सकता है। वहीं सरसों तेल के बांधों में जो राहत मिलने की उम्मीद थी, उस पर पानी फिर हो सकता है। बस सरसों का तेल 150 से 160 रुपये प्रति किलो में मिल रहा है जो 2022 में 200 रुपये का भाव भी देख चुका है। अगर गर्मी का पर्दा घटता है तो इस साल आम लोगों को खाने के तेल के महंगे दामों से राहत मिल सकती है।
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