स्कूल में प्रवेश के लिए सही उम्र क्या है: शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि स्कूल शुरू करने की 6 साल की फिक्सिंग की घोषणा की जानी चाहिए और कक्षा 1 में 6 साल से कम के बच्चों की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। ये राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कहा गया था कि बच्चों के धरोहर को देर से रखा जाना चाहिए और जब वे कक्षा में वन में हों तो उनकी उम्र कम से कम 6 साल होनी चाहिए। इस बारे में सभी का अपना मत है लेकिन बच्चों के लिए स्कूल शुरू करने की सही उम्र क्या है? आइए जानते हैं।
क्या कहा है
भारत में स्कूल के ज्यादातर बच्चे 2.5 साल की उम्र से ही नोट देने वाले हैं पर ये किसी हाल में ये बात का संकेत नहीं है कि ये सही उम्र की निशानी है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के अध्ययन से पता चला है कि जो पैरेंट्स देर से अपने बच्चे को स्कूल में नोट करते हैं, उनके बेहतर प्रदर्शन करने की संभावना अधिक होती है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार ये बच्चा 7 या 11 साल के होने पर भी इसके टेस्ट स्कोर अच्छे आते हैं और इनका कंट्रोल भी ग्रेट रहता है।
कोर्ट का क्या कहना है
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना था कि बच्चे साइकोलॉजिकल और मेंटल हेल्थ के लिए जरूरी है कि वे बहुत कम उम्र में स्कूल न भेजे जाएं। चूंकि इस विषय में अंतिम निर्णय राज्य या यूटी का होता है इसलिए जरूरी है कि वे इसके बारे में अपनी राय दें। स्कूल राज्य या यूटी के अधिकांश डोमेन के अंतर्गत आते हैं इसलिए उनके बारे में इस बारे में टिप्पणी आमंत्रित किए गए हैं।
क्या कहती है रिपोर्ट
रिपोर्ट के मुताबिक ये देखा गया है कि 14 राज्यों/यूटी ने वन में 5+ की उम्र वाले वर्ग को नामांकित किया है, जबकि 22 राज्यों में 6+ की उम्र वाले राज्य हैं। सरकार ने पिछले साल लोकसभा में ये बात कही थी। इससे बच्चों के नामांकन की गलत देनदारी होती है।
एनईपी क्या कहता है
नई शिक्षा नीति के तहत निर्धारण चरण पांच साल से मिलकर बनाया जाना चाहिए जिसमें सभी छात्रों को सीखने के लिए मिलना चाहिए। प्री स्कूल में तीन साल और उसके बाद क्लास वन और टूर पर जाना होगा। मंत्रालय ने स्टेट्स और यूटीज का कहना है कि वे क्लास वन में 1 साल की फिक्सिंग की अर्जी देने पर विचार करें।
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