पिछले साल से पूरी दुनिया की दबंगई (उच्च मुद्रास्फीति) से परेशान है। गोपनीयता का असर सिर्फ हम लोगों पर ही नहीं हो रहा है, बल्कि भारतीय सम्बद्ध जगत (India Inc) भी इससे प्रभावित हो रहा है। घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा (आईसीआरए) की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ ख़ास वजहों से इंडिया इंक की कमी हुई है।
प्रमाणन आधार में गिरावट
इक्रा की रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर तिमाही के दौरान इंडिया इंक का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन (ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन) 2.37 फीसदी कम होकर 16.3 फीसदी पर आ गया। ब्लूप्रिंट पर आई इस कमी की वजह से चमक और चमक की वजह बन रही है। हालांकि तिमाही दर तिमाही आधार पर स्थिति में कुछ सुधार हुआ है।
सितंबर तिमाही की तुलना में सुधार
इक्रा के अनुसार, ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन सितंबर तिमाही की तुलना में 1.80 प्रतिशत बढ़ा है। इक्रा का कहना है कि विभिन्न प्राधिकरण साल के अंत में साझेदारों से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा साल के आखिरी महीनों में चोट की दर भी कम हुई है। सितंबर तिमाही की तुलना में दिसंबर तिमाही में आए सुधार की यही वजहें हैं।
आगे इनका असर होगा
एजेंसी ने कहा है कि आने वाले समय में कम अवधि के होश से किसी संबद्धता और धब्बे में किसी कमी से लाभ बढ़ाने में मदद मिल सकती है। हालांकि भू-राजनीतिक तनाव, आर्थिक मंदी के खतरे, विदेशी मुद्रा विनिमय एजेंट में एजेंट-पुथल आदि के चलते लंबी अवधि में जोखिम बना रहेगा।
इंकारा के सेक्टर हेड श्रुति थॉमस (श्रुति थॉमस) ने कहा, इंडिया इंक की अगली पीढ़ी की क्षमता पर कई हिस्सों का असर होगा। इनमें से एनर्जी कोस्ट की मुद्रा, विकसित देशों में घटने के खतरे और आयात पर नज़र केंद्रित सेक्टर दोनों पर विदेशी मुद्रा की एक्सचेंज श्यामाई के प्रभाव आदि शामिल हैं।
अधिकृत ने ऐसा किया
आपको बता दें कि साल भर से ज्यादा समय से देश में जाम की वजह से परेशान हो रहे हैं। पिछले साल तो शुरुआत के 10 महीनों के दौरान 6 प्रतिशत से ज्यादा झलक दर रही। बाद में दो महीने यानी नवंबर और दिसंबर के दौरान कुछ नई आई, लेकिन जनवरी 2023 में एक बार फिर से रिजर्व बैंक के दायरे से निकाल दिया गया। इसे लेने वाले के लिए रिजर्व बैंक पिछले साल मई के बाद से अब तक कई चरणों में रेपो रेट को सींक करता है, लेकिन अब तक जोखिम नहीं लिया जाता है।