भारतीय अर्थव्यवस्था: मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि महत्वपूर्ण आंकड़ों के अनुरूप अनुमान को देखते हुए चालू वर्ष में प्राप्त करें (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 7 प्रतिशत से अधिक रहने की संभावना है। राष्ट्रीय चिह्न कार्यालय (एनएसओ) के मंगलवार को जारी जारी मौसम रिपोर्ट में वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने की संभावना बनी हुई है। जनवरी में जारी पहले पूर्व अनुमान में भी मामूली वृद्धि दर इसलिए ही रहने का अनुमान लगाया गया था।
वी अनंत नागेश्वरन ने कहा, महत्वपूर्ण संभावनाओं को देखते हुए और जिस तेजी से इसमें सुधार हो रहा है, उसके आधार पर मेरा फील होता है कि चालू वित्त वर्ष में बढ़ोतरी दर नीचे जाने के रुके ऊपर रहें। वास्तविक जनसंख्या वृद्धि दर स्थिर मूल्य (2011-12) पर सकल घरेलू उत्पाद 2022-23 में 159.71 मिलियन करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जबकि 2021-22 के पहले अनुमान अनुमान में इसका 149.26 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था। एन 2022-23 में स्थिर मूल्यों पर परिमाणित वृद्धि दर के अनुसार सात प्रतिशत जीवन का अनुमान है जो 2021-22 में 9.1 प्रतिशत था।
एन पहचान के आंकड़ों के अनुसार मुख्य रूप से मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में वृद्धि दर धीमी पड़ रही है 4.4 प्रतिशत। राष्ट्रीय मानक कार्यालय ने मंगलवार को पिछले तीन वर्षों 2019-20, 2020-21 और 2021-22 के अनुपात में वृद्धि दर के आधार पर रिपोर्ट की और साथ ही 2022-23 के लिए दूसरा लेखा-जोखा जारी किया।
वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि वेग दर में जो वृद्धि हो रही है, वह एक आर्थिक विकास दर का कारण नहीं हो सकता है। यह वास्तव में ऋण की अच्छी तरह से चाहने वाले तथ्यों को बताता है। उन्होंने कहा कि इस समय वास्तविक व्याज दर कोई अति विशिष्ट नहीं है। कुछ क्षेत्रों में पहले की दबी हुई मांग अब सामने आ रही है।
ग्रामीण सबसे ऊपरी जीवन के बारे में नागेश्वरन ने कहा कि इसमें कुछ भी इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया गया है कि आबादी के बड़े हिस्से को बिना किसी राशि के जरूरी सामान मिल रहा है। डिजिटलीकरण के आर्थिक लाभ के बारे में उन्होंने कहा कि डिजिटल लेन-डेन में वृद्धि से संगठित क्षेत्र का दायरा बढ़ा है। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा, मेरा अनुमान है कि यह अस्थायी रूप से हर साल 0.3 प्रतिशत से 0.5 प्रतिशत का योगदान दे रहा है। अभी तक किसी ने भी अनुमान के रूप में अनुमान नहीं लगाया है कि डिजिटल पदानुक्रम का आर्थिक विकास में क्या योगदान हो रहा है। इसकी निगरानी की जरूरत है।
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