भारत-चीन संबंध: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार (2 मार्च) को चीन के विदेश मंत्री किन गांग के साथ बैठक की। इस मुलाकात के बाद जयशंकर ने बताया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन-चैन बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। दोनों के बीच करीब 45 मिनट लगे।
जी-20 के सदस्य देशों के विदेश मंत्री की बैठक से अन्य इस पर चर्चा हुई। पूर्वी अंक में 34 महीने से अधिक समय से जारी सीमा विवाद के बीच बैठक हुई। इसी दिसंबर में चीन के विदेश मंत्री बने थे जिसके बाद उनकी जयशंकर के साथ यह पहली मुलाकात थी। किन भारत की मेजबानी में हो रही जी-20 की बैठक में शामिल होने गुरुवार सुबह दिल्ली पहुंचे।
क्या चर्चा हुई?
जयशंकर ने ट्वीट किया, ”आज दोपहर में जी-20 के विदेश मंत्री की बैठक से दूसरे चीन के विदेश मंत्री के बीच गैंग से मुलाकात की। हमारी बातचीत में पूर्वनिर्धारण, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति के लिए मौजूदा हिस्सों पर ध्यान देने पर जोर दिया गया। उन्होंने कहा, ”हम जी-20 के गठबंधन के बारे में भी बातचीत की। ”
चीन के विदेश मंत्री किन गैंग से इतर मुलाकात की #G20FMM इस दोपहर।
हमारी चर्चा द्विपक्षीय संबंधों, विशेष रूप से सीमा क्षेत्रों में शांति और शांति के लिए वर्तमान चुनौतियों का समाधान करने पर केंद्रित थी।
हमने जी20 एजेंडे के बारे में भी बात की। pic.twitter.com/omGsuuznba
– डॉ. एस जयशंकर (@DrSJaishankar) 2 मार्च, 2023
हिंदुस्तान क्या कह रहा है?
हिंदुस्तान कहता है कि चीन के साथ उसके संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते, जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं आती। जयशंकर ने करीब आठ महीने पहले बाली में जी-20 की बैठक से अन्य संबद्ध चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी। वे सात जुलाई को एक घंटे की बैठक के दौरान वांग को पूर्वी संकेत पर मिलने के दौरान सभी मुद्दों के जल्द समाधान की आवश्यकता का संदेश दिया था।
तब विदेश मंत्री ने वांग से कहा था कि दोनों देशों के बीच संबंध आपसी संबंध, आपसी समझौते और आपसी संबंधों पर आधारित होने चाहिए। वांग पिछले साल मार्च में भारत आए थे। दोनों तरफ से सैन्य वार्ता के 16वें दौर में किए गए डॉक के अनुरूप पिछले साल सितंबर में गोगरा-हॉटस्प्रिंग क्षेत्र में स्थित पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 से सैनिकों को वापस बुलाया गया था, लेकिन दुनिया के दो सबसे बड़े कब्र के बीच डेमचोक और डेपसांग क्षेत्रों में टकराव की स्थिति बन रही है। भारत ने टकराव के बाकी विकल्पों से मजदूरों की वापसी की प्रक्रिया पूरी करने पर जोर दिया था।
विवाद कहां से शुरू हुआ?
भारत और चीन ने गत 22 फरवरी को बीजिंग में प्रत्यक्ष राजनयिक वार्ता की थी और पूर्वी संदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LSI) पर स्थित टकराव वाले बाकी सभी सैनिकों की वापसी के प्रस्ताव पर ‘खुली और सकारात्मक चर्चा’ की थी। हिंदुस्तान-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और सहयोग के लिए कार्य प्रणाली की रूपरेखा की रूपरेखा पर बैठक हुई।
पैंगांग झील क्षेत्र में हिंसक संघर्ष के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी अलर्ट सीमा क्षेत्र में गतिरोध पैदा हुआ था। जून 2020 में गलवान घाटी में भीषण टकराव के बाद दोनों देशों के बीच संबंध और तनाव आ गया था। श्रृंखलाबद्ध सैन्य और राजनयिक वार्ताओं के परिणामस्वरूप दोनों तरफ पैंगांग झील के उत्तरी और दक्षिणी परिसर तथा गोगरा क्षेत्र में 2021 में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की गई।
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