बोहाग बिहू की तैयारी: असम में अगले महीने राज्य का सबसे बड़ा त्योहार बोहाग बिहू का आयोजन होने वाला है। इस त्योहार को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। अभी से इस त्योहार को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है। असम के हिमंता बिस्वा सरमा ने बोहाग बिहू की भव्य तैयारियों की झलक साझा की है। असम सरकार इस दौरान विश्व का सबसे बड़ा बिहू नृत्य आयोजित करके विश्व रिकॉर्ड बनाने का प्रयास कर रही है।
असम सरकार ने बोहाग बिहू के लिए अप्रैल में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का लक्ष्य रखा है, जहां लगभग 15,000 लड़के और लड़कियां पारंपरिक नृत्य प्रदर्शन करेंगे। इसके लिए सभी 31 नेटवर्कर्स के लिए स्टिकर्स का खुलासा भी किया जाएगा। ये कलाकार असम से असम आएंगे। इनके लिए और खाने की पर्याप्त व्यवस्था करने की भी तैयारी की जा रही है।
सीएम हिमंता ने शेयर की झलक
शाम डॉ हिमंता बिस्वा सरमा ने ट्वीट करते हुए कहा, “अगले साल से सरकार 7 दिनों के लिए रंग घर और सरसजी स्टेडियम में रोंगाली बिहू का स्थान बना रही है। पिछले 10 साल से बिहू धारण करने वाले बिहू अपराधी को 1.5 लाख रुपये प्रदान करते हैं। बिहू अपराधियों से दान के लिए बल प्रयोग नहीं करने की अपील करता हूं।” जानकारी के अनुसार, यह 14 अप्रैल को गुवाहाटी के सरूसजाई स्टेडियम में होगा।
एक विशेष और ऐतिहासिक बोहाग बिहू के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई है। pic.twitter.com/tBXgNycsYL
– हिमंत बिस्वा सरमा (@himantabiswa) मार्च 3, 2023
पीएम मोदी भी नजर आएंगे
जानकारी के अनुसार, इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहेंगे। इसलिए ही इस कार्यक्रम में असाम सरकार की ओर से सभी राज्यों के राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों को भी आमंत्रण दिया जाएगा। बोहाग बिहू या रोंगाली बिहू को असमिया नव वर्ष की शुरुआत और बसंत के आगमन का प्रतीक माना जाता है। यह आम तौर पर सात दिनों तक रहता है। रोंगाली बिहू दिखावा के लिए भी महत्वपूर्ण आकर्षणों में से एक है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सरकार ने एक कैबिनेट समूह की स्थापना की है।
साल 3 बार त्योहार मनाया जाता है
बता दें कि बिहू त्योहार को असम और उत्तर-पूर्वी राज्यों का प्रमुख त्योहार माना जाता है। इस साल तीन बार मनाया जाता है। जनवरी महीने के मध्य में भोगाली बिहू मनाया जाता है, इसे माघ बिहू भी कहते हैं। अप्रैल के मध्य में बोहाग बिहू मनाया जाता है जो रोंगाली बिहू या हतबिहू के नाम से भी प्रचलित है। इसके अलावा तीसरी बार ये पर्व अक्टूबर के मध्य में मनाया जाता है, जिसे कंगाली या काती बिहू के नाम से जाना जाता है।
ये भी पढ़ें-मेघालय चुनाव परिणाम: कोनराड मेघा ने सरकार का दावा पेश किया, पीएम मोदी बोले- साथ मिलकर काम करने को उत्सुक हैं