H3N2 मामले: नामांकन सीजन की वजह से आजकल कई लोगों को जुकाम, तेज बुखार और खांसी की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। अगर आपको भी ये तीनों लक्षण हैं और लंबे समय से हैं तो सतर्क हो जाएं क्योंकि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने कहा है कि देश में बुखार और खांसी का जो मौजूदा प्रकोप चल रहा है वो खतरनाक एक के एच3एन2 वायरस (एच3एन2 वायरस) ) की वजह से है।
एपीके फाइबर के अनुसार, एच3एन2 अन्य वायरस की तुलना में अधिक प्रभावी है। इस वायरस से पीड़ित लोगों की बड़ी संख्या में बाढ़ में भर्ती हो रहे हैं। रिकेरिकेरिकेसिया विज्ञान के प्रमुख डॉ. निवेदिता के मुताबिक, 15 दिसंबर 2022 से अबतक 30 वी लेटर के डेटा ने सबसे खतरनाक एक एच3एन2 के मामलों की संख्या में तेजी की बात कही है।
वायरस के कम होने के संकेत
उन्होंने कहा कि मार्च के आखिरी या अप्रैल के पहले हफ्ते से वायरस का असर कम होने के संकेत हैं क्योंकि इससे तापमान बढ़ना शुरू हो जाता है। वहीं, जानकार के अनुसार, वायरस से पीड़ित रोगी को दृष्टिकोण का अधिक उपयोग करने से बचना चाहिए और डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
92 प्रतिशत रोगियों में बुखार
एपीके अवरुद्ध के अनुसार, अतिसंवेदनशील एच3एन2 के मरीजों में 92 प्रतिशत बुखार, 86 प्रतिशत को खांसी, 27 प्रतिशत को सांस फूलना और 16 प्रतिशत को घरघराहट की समस्या है। इसके अलावा संस्थान की निगरानी में पाया गया कि ऐसे 16 प्रतिशत निमोनिया थे और 6 प्रतिशत दौरे भी पड़ते थे। उसी समय, रेकार्ड ने बताया है कि एच3एन2 वायरस से पीड़ित गंभीर रोगी होते हैं जिनमें लगभग 10 प्रतिशत वंशजों को ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और 7 प्रतिशत देखभाल की आवश्यकता होती है।
हर साल 30-50 लाख का मामला
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, पूरी दुनिया में हर साल इस निर्दिष्ट निर्दिष्ट वायरस के 30-50 लाख मामले सामने आते हैं। इनमें से 2.9 से लेकर 6.5 लाख लोगों की मौत सांस की बीमारी की वजह से हो रही है। कमजोर का कहना है कि बीमारी को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका टीकाकरण है।
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