आंध्र प्रदेश टाइगर शावकों को बचाया गया: क्षेत्रों के नंद्याला जिले के गुम्मदापुरम गांव में सोमवार (6 मार्च) को एक घर में चार शावक मिले और सूचना मिलने पर वन विभाग के अधिकारियों ने उन्हें अपने कब्जे में ले लिया। एक वन अधिकारी ने बताया कि एक टाइगरिन दहाड़ रही थी और नंद्याला जिले के कोठापल्ली मंडल के तहत आने वाले क्षेत्र के दो किमी के दायरे में घूम रही थी।
उन्होंने बताया कि पशु का पता लगाने वालों ने वन्यजीवों पर पहुंच कर शावकों की प्रक्रिया शुरू कर दी और क्षेत्रों को घोंट लिया। अधिकारियों ने बताया कि वन विभाग ने बड़ी संख्या में कैमरे लगाए हैं। उन्होंने कहा कि बाघ शावक काफी हद तक स्वस्थ हैं और करीब तीन से चार महीने की उम्र के हैं।
‘शावक यहां कैसे पहुंचे ये हमारे लिए पहेली है’
अतिरिक्त मुख्य वन संरक्षक शांति प्रिया पांडे ने बताया कि अधिकारी अगले 24 या 48 घंटे में टाइगरिन तक पहुंचने की कोशिश करेंगे। अगरिन टाइगर इन बच्चों को अपना लेता है तो यह सुखद अंत होगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो आगे के कदम के बारे में फैसला किया जाएगा। प्रिया पांडे ने कहा, “शावक वहां कैसे पहुंचे यह बात हमारे लिए एक पहेली है। मुझे लगता है कि कुछ जंगली कुत्तों ने बाघिन को खदेड़ दिया होगा। भटकने की जल्दी में वो शावकों को वहीं छोड़ देंगे।”
#घड़ी | आंध्र प्रदेश | नांदयाल जिले के पेड्डा गुम्मदापुरम गांव के निवासियों ने चार बाघ शावकों को पाया। ग्रामीणों ने उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया और वन अधिकारियों को सूचना दी। (06.03) pic.twitter.com/0brXaiPly7
– एएनआई (@ANI) 7 मार्च, 2023
टाइगरिन के व्यवहार पर टिकी शावकों की ज़िंदगी!
अधिकारियों ने कहा कि अगर शावक जंगल में वापस चले जाते हैं तो उनके रहने की संभावना अधिक होगी। विभाग शावकों को लौटाने के विकल्पों पर विचार कर रहा है कि उनकी मां के व्यवहार बहुत महत्वपूर्ण होंगे।
नल्लामाला घने जाल में स्थित नागार्जुन सागर श्रीशैलम टाइगर रिजर्व, स्पॉटिंग के कुरनूल, प्रकाशम, गुंटूर, और नलगोंडा और महबूबनगर के पांच संयुक्त जाल में फैला हुआ है। 3728 किलोमीटर किलोमीटर में फैला यह भारत का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व भी है। इस जंगल को 1983 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था।
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