भारत में H3N2 वायरल अटैक: भारत में कोरोना के कहर के बाद एडिनोवायरस और खतरनाक जैसी बीमारियां फैल रही हैं। ये पुराना इलेक्ट्रॉनिक फ़्लू नहीं बल्कि इन्फ्लुएंजा सब-टाइप H3N2 वायरस हैं। हर दूसरे व्यक्ति को लंबे समय तक वायरल खांसी, सांस लेने में तकलीफ और बार-बार छींक आ रही है। खासकर उत्तर भारत के इलाके में इस फ्लू ने जनवरी, फरवरी और मार्च के महीने में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।
न्यूज वेबसाइट टुडे इंडिया के मुताबिक, मैक्स के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर और सीनियर डॉक्टर संदीप बुधिराजा ने कहा है कि इंफ्लूएंजा वायरस स्ट्रेन के लक्षण अलग हैं। उन्होंने बताया, “बहुत से लोगों को लगातार खांसी की शिकायत आ रही है जो कई दिनों तक रहती है। आम तौर पर हम उत्तर भारत में फरवरी और मार्च के महीने में फ्लू के मामले नहीं देखते हैं लेकिन अब तक हम बहुत सारे मामलों को देख रहे हैं।”
एच3एन2 वायरस क्या है?
इनमें से अधिकतर मामले H3N2 वायरस की वजह से हो रहे हैं। ये एक तरह का इन्फ्लुएंजा ए वायरस है, जो बहुत गंभीर है लेकिन ये एच1एन2 यानी स्वाइन फ्लू ज्यादा खतरनाक नहीं है जो महामारी फैलाता है। ये वायरस एक तरह का इन्फ्लुएंजा वायरस है। ये एक स्पिरिटरी वायरल इंफेक्शन है जो हर साल बीमारियों का कारण बनता है। इस तरह के इन्फ्लुएंजा वायरस के सब प्रकार को वर्ष 1968 के दौरान मनुष्यों में पाया गया था।
एच3एन2 वायरस के लक्षण
H3N2 वायरस के लक्षणों में खांसी, नाक बहना, गले में खराश, सिरदर्द, शरीर में दर्द, बुखार, ठंड लगना, थकान, दस्त और उल्टी शामिल हैं। इन्फ्लुएंजा वायरस को 4 भाग ए, बी, सी और डी में जोड़ा गया है। संदिग्ध वायरस ए और बी फ्लू की संबद्धता की वजह से रोगी होते हैं, इसमें अधिकांश रोगियों को सांस लेने में कठिनाई होती है। यह समस्या लगभग हर साल पीड़ित होती है। कुछ इन्फ्लुएंजा एक सब-वैरिएंट जैसे- H1N1 (स्वाइन फ्लू वायरस) और H3N2 अधिक गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
वायरस से बचने के लिए फंड
किसी भी तरह के वायरल संक्रमण को रोकने के लिए जो निश्चित किए जाते हैं, उनमें टीकाकरण शामिल है। अपने हाथों को साबुन या हैंडवॉश से नियमित रूप से साफ़ करें और चमकें भी। मास्क पहनने वाले या फिर बीमार व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें। अगर आपको छींक या खांसी आती है तो ऐसे में रूमाल का इस्तेमाल करें या फिर ऐसा करते हुए अपने मुंह को कवर करके रखें।
H3H2 वायरस का इलाज क्या?
इसका इलाज काफी सरल है। बहुत से ज्यादा फॉर्म की चीजें खानी पीनी चाहिए जिससे खुद को दर्ज किया जा सके। बुखार, खांसी या सिरदर्द होने पर डॉक्टर द्वारा बताए गए धूम्रपान का नियमित सेवन करना चाहिए। इस बीच आईएमए ने एंटीबायोटिक दवाओं के बिना डॉक्टर की सलाह के सेवन न करने की चेतावनी जारी की है। इसमें कहा गया है कि कई लोग इन्फ्लुएंजा के कारण होने वाले बुखार और खांसी को कम करने के लिए खुद से पहल ले रहे हैं, इससे मरीजों का स्वास्थ्य अधिक बिगड़ रहा है। इसलिए बिना किसी डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन न करें।
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