2017 से अब तक पिछले 5 सालों में शेयर ने 10 लाख 9 हजार 511 करोड़ रुपये के बूते हुए लोन को बट्टे खाते में दिया है। इस शेड्यूल के दौरान कमर्शियल बैंक कुल का कर्ज सिर्फ 13 साल का ही रिकवर कर पाया। बट्टा खाते में ऋण निवेश के बाद इस संतुलन को बही खाते से भी हटा दिया जाता है।
आरबीआई के मुताबिक साल 2018-19 में बैंकों ने सबसे ज्यादा 2.36 लाख करोड़ रुपये बट्टे खाते में जमा किए। 2021-22 में यह पात्र 1.57 लाख करोड़ का है। सबसे अधिक गीतांजलि जेम्स के कर्ज (7.1 करोड़) को बट्टे खाते में डाला गया।
संसद में वित्त मंत्री ने क्या कहा?
राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में निर्मल निर्मलता ने कहा कि RBI की सूचनाओं के तहत बैंकों ने पैसे को बट्टा खाता में डाला है। बैंक इसे रिकवर करने के लिए ट्रिब्यूनल और कोर्ट का सहयोग ले रहा है। किसी को मजाक नहीं किया जाएगा।
जानिए एनपीए क्या है?
NPA का मतलब होता है- अच्छा प्रदर्शन नहीं करना। जब कोई व्यक्ति या कंपनी किसी बैंक से लोन लेती है और वह लोन का अधर में बंध जाता है, तो बैंक उस अकाउंट को एनपीए घोषित करता है।
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दरअसल, बैंकों के सारे कारोबार का पैसा जमा करने से ज्यादा कर्ज देने पर टिका है। आरबीआई के नए नियम के मुताबिक बैंक कुल जमा राशि का 77.5% रुपए को कर्ज के रूप में दे सकता है। यह ऋण से संबंधित हित के अनुरूप है।
कई बार बड़ी कंपनियां या लॉग का पैसा देना बंद कर देती हैं, जिसके बाद बैंक अकाउंट को एनपीए घोषित कर देता है।
बट्टा खाता क्या बला है?
कर्ज लेने के बाद भी जब कोई कंपनी कनेक्शन सागर नहीं करती तो बैंक उसे विलफुल डिफॉल्डर घोषित कर देता है। साथ ही अपने कर्ज को बट्टा खाते में डाल देता है। ऋण के बट्टे खाते का विवरण अलग-अलग प्रकार से प्रभावित होता है।
बैंक बट्टे के फायदों में क्यों डालते हैं पैसा, 3 कारण…
- प्राधिकरण की राजनीति रसूख बड़ी वजह है। बैंक सत्ता के करीब रहने वाले ज्यादातर बिजली का पैसा बट्टे खाते में लगाते हैं।
- सॉस को अपना खाता खाता क्लिन दिखाता है। इस वजह से कई प्राधिकरण का लोन बट्टे खाते में जाता है। हालांकि, इसकी एक प्रक्रिया है।
- कई बार लोन लेने वाली कंपनियां दीवाला हो जाती हैं। कंपनी के मालिक देश छोड़ देते हैं। ऐसे समय में भी बैंक कर्ज के बट्टे खाते में डाल देता है।
5 साल में सरकारी बचत के बट्टे लाभों में अर्जित राशि
साल रुपए (करीब में)
2017-18 1.61 लाख करोड़
2018-19 2.36 लाख करोड़
2019-20 2.34 लाख करोड़
2020-21 2.02 लाख करोड़
2021-22 1.57 लाख करोड़
बट्टा खाते में डाला गया पैसा माफ हो गया है?
नहीं। बैंकों के तहत कर्ज की उगाही करने की कोशिश करता है। हालांकि, ज्यादातर मामलों में यह स्थिरीकरण नहीं होता है या होता है तो न के बराबर। उदाहरण से समझिए- 2020-21 में साइट ने करीब 1.76 लाख करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले, जिससे सिर्फ 33 हजार करोड़ रुपए का पकड़ा गया।
बट्टे खाते को लेकर राजनीति भी बहुत होती है
बट्टे खाते को लेकर हर सरकार में राजनीति हुई। यूपीए-2 के कई सालों में कई प्राधिकरणों के पैसे बट्टे खाते में चले गए। रिपोर्ट के मुताबिक 2009-14 तक के पांच साल में 1.22 लाख करोड़ रुपए बट्टे खाते में गए। उस वक्त भाजपा संबंध में थी और मनोज सरकार पर जबरदस्त हमला बोली।
अब बीजेपी सरकार में है और कांग्रेस के वोटों पर हमला बोल रही है। पिछले दिनों गुजरात में एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था कि सरकार उद्योगपतियों का कर्ज माफ कर रही है, लेकिन किसानों का माफ कर्ज नहीं करता है।