वनडे प्रारूप पर रवि शास्त्री: पहचान का भविष्य क्या होगा? आने वाले दिनों में क्या अक्षरों की लोकप्रियता बनी रहेगी? बहरहाल, इस सवाल का जवाब भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर रवि शास्त्री ने दिया है… दरअसल, रवि शास्त्री ने अदभुत अनुकूलन की लोकप्रियता बनाए रखने की सलाह दी है। रवि शास्त्री का मत है कि यदि पुराणों की प्रतिकृति की लोकप्रियता को बनाए रखा जाए तो इसे अधिक कम किया जाना चाहिए। अभी, संयुक्ताक्षर में दोनों टीमें 50-50 ओवर खेलती हैं, लेकिन ओवर में टीम इंडिया के पूर्व कोच के अनुसार चयन किया जाएगा।
‘वनडे सचित्र 50 ओवर के बजाय 40 ओवर के हो’
रवि शास्त्री का मानना है कि यदि ऑस्ट्रेलियाई प्रतिकृति की लोकप्रियता टिकी हुई है तो 50 ओवर के बजाय 40 ओवर का खेल होना चाहिए। यानी, दोनों अधिकतम 40-40 स्कोर करते हैं। दरअसल, पिछले दिनों इंग्लैंड टेस्ट टीम के कप्तान बेन स्टोक्स ने विविधता को अलंकृत किया था। साथ ही उन्होंने कहा था कि अक्षरों का ओवरव्यू देखा जाएगा। इसके बाद से लगातार यह चर्चा का विषय बन गया है। अब भारतीय टीम के पूर्व कोच ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। भारत-ऑस्ट्रेलिया मेरा टेस्ट मैच में रवि शास्त्री कमेंट्री कर रहे हैं, वे इस बात के दौरान कमेंट्री कर रहे हैं।
‘अब समय आ गया है कि ओवरों में शॉट हो’
रवि शास्त्री ने कहा कि जब पहली बार भारतीय टीम ने 1983 में विश्व कप का खिताब जीता था, उस समय ग्लोब का ग्लोबिंग 60 ओवर के होते थे, लेकिन अब यह 50 ओवर का होता है। यानी, पहले के प्रचार में 10 ओवर कम कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि अब एक बार ज़हर आ गया है या अक्षरों पर हस्ताक्षर कर लें। अब ओवरों का कट कर 50 ओवर के बजाय 40 ओवर में जा सकते हैं। दरअसल, पिछले लंबे समय से ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट के भविष्य पर सवाल हो रहे हैं। इस पर विशेषज्ञ अलग-अलग अपनी-अपनी राय दे रहे हैं। अब भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कोच रवि शास्त्री ने अपनी बात रखी है।
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