भाजपा-कांग्रेस के साथ गठबंधन पर एचडी कुमारस्वामी: कर्नाटक (कर्नाटक) के पूर्व जनता दल (सेकलिस्ट) (JDS) नेता एचडी कुमारस्वामी (HD Kumaraswamy) ने विधानसभा चुनाव के बाद की स्थिति को लेकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। उनकी पार्टी बीजेपी या कांग्रेस के साथ गठबंधन करेगी या नहीं, इस बारे में उन्होंने बताया है।
एक साक्षात्कार में जेडीएस नेता ने कहा कि बीजेपी या कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि इन दोनों गैर जाति के साथ उनका बुरा अनुभव हो रहा है, इसलिए गठबंधन के बारे में सोच नहीं रहे हैं। कर्नाटक में इसी साल मई में विधानसभा चुनाव होना है। उससे पहले कुमारस्वामी ने दोनों के साथ अपने अनुभव के बारे में विस्तार से बताया।
स्पष्ट बहुमत न मिलने पर क्या जेडीएस गठबंधन करेगा?
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, स्वामीस्वामी से पूछा गया कि अगर विधानसभा चुनाव में राज्य में किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो क्या उनकी पार्टी एक सहयोगी की भूमिका निभाएगी? जवाब में उन्होंने कहा, ”मैं भविष्य में किसी भी गठबंधन सरकार के लिए खुश नहीं हूं क्योंकि दोनों (कांग्रेस-बीजेपी) अनुमान के साथ मेरा अनुभव खराब रहा है।”
कुमारस्वामी ने कहा कि पहला लाइव अनुभव 2006 का है। उन्होंने कहा, ”एक हद तक तो यह ठीक भी था क्योंकि भाजपा को किसी तरह की ताकत का अनुभव नहीं था। अब वे आठ साल से सत्ता का सुख ले चुके हैं। बीजेपी रियल नहीं रही जो 2006 में थी। सभी निर्देश आलाकमान की ओर से दिए जाते हैं लेकिन यहां कोई नियंत्रण नहीं है। हर कोई धन चाहता है। अगर हम बीजेपी से हाथ मिलाते हैं तो सुशासन नहीं दे सकते.”
‘कांग्रेस के साथ भी रहा बुरा अनुभव’
कुमारस्वामी ने कहा, ”कांग्रेस के साथ भी मेरा बहुत बुरा अनुभव रहा है। उन्होंने मेरे साथ एक ‘चपरासी’ जैसा व्यवहार किया। यही इसके लिए सबसे सही शब्द है। कांग्रेस के साथ ऐसा पहला अनुभव नहीं था। लोगों ने 2006 में कांग्रेस को खारिज कर दिया था। आखिरकार मेरे पिता ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने का फैसला किया। वे (कांग्रेस) से नौकरी की मांग की, हमारी पार्टी भी मान गई और धरम सिंह जी बने, लेकिन उन्होंने मेरे साथ तब जैसा व्यवहार किया, वैसा ही अब भी किया, हालांकि मुझे नौकरी का पद दिया गया था।”
‘जेडीएस का गढ़ खत्म नहीं कर सकता दोनों हिस्सेदार’
कुमारस्वामी ने आगे कहा कि उनका अनुभव बताता है कि स्पष्ट बहुमत न मिलने पर अगर बीजेपी या कांग्रेस के साथ जाते हैं तो कुछ महीने की ही सरकार निर्देशित हो सकती है, लेकिन आम आदमी के लिए यह संबंध नहीं होगा। दरअसल इस राज्य में 224 सदस्यीय विधानसभा के 61 इलाके पुराने मैसूर क्षेत्र को जेडीएस का गढ़ माना जाता है।
बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां इस क्षेत्र में अपना वोट शेयर बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं। स्वामीस्वामी ने कहा कि दोनों पार्टियां जेडीएस के इस गढ़ को खत्म करने की स्थिति में नहीं हैं। बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में JDS ने राज्य में कुल 37 सीटों को देखा था। इनमें से 31 पुराने टिकट पुराने मैसूर क्षेत्र से ही हैं।






















