पेट्रोलियम उत्पादों पर कर: नामांकन उत्पाद हमेशा से टैक्स कमाने का सबसे बड़ा जरिया बन रहा है चाहे वो सेंटर की सरकार हो या फिर राज्य सरकार। वित्त वर्ष 2022-23 अभी खत्म नहीं हुआ है, लेकिन इस वित्त वर्ष के केवल 9 महीने में केंद्र और राज्य के उत्पाद उत्पाद टैक्स के माध्यम से 5.45 लाख करोड़ रुपये की कमाई कर चुके हैं।
पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से कमाई
राज्यसभा में मंत्रालय से डॉ जॉन ब्रिटास ने सरकार से सवाल करते हुए पिछले पांच साल में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर अलग-अलग तरह के टैक्स जमाये गए नंबर मांगा था। इस प्रश्न के जवाब में लिखे गए पेट्रोलियम मंत्री रामेश्वर तेली ने बताया कि 2022-23 के पहले नौ महीने में केंद्र सरकार को टैक्स के माध्यम से 307,913 करोड़ रुपये की आय हो चुकी है। जबकि राज्यों को 237,089 करोड़ रुपये की आय हुई है।
प्रोजेक्टाइल प्रोडक्ट्स बना कामधे गाय
सऊदी मंत्री ने डोम को बताया कि केंद्र और राज्य दोनों को मिलाकर 2022-23 के नौ महीनों में 545,002 करोड़ रुपये, 2021-22 में 774,425 करोड़ रुपये, 2020-21 में 672,719 करोड़ रुपये, 2019-20 में 555,370 करोड़ रुपये, 2018-19 में 575,632 करोड़ रुपये, 2017-18 में 543,026 करोड़ रुपये ऑटोमोबाइल प्रोडक्ट्स पर टैक्स से रेवेन्यू आया है।
आम आदमी को राहत नहीं
एक तरफ चार्ट तेल के दामों के 80 डॉलर प्रति के नीचे आने के बावजूद महंगी पेट्रोल डीजल से राहत नहीं मिल रही है। लेकिन ये प्रोडक्ट्स सेंटर और राज्यों के लिए कमाई का सबसे बड़ा जरिया बने हुए हैं। देश में पेट्रोल के दाम औसतन 97 रुपये प्रति लीटर और डीजल 90 रुपये प्रति लीटर में मिल रहा है। पेट्रोलियम स्टेट मिनिस्टर ने बताया कि पेट्रोल डीजल और प्लजी के दाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लिंक किए जा रहे हैं। 26 जून 2010 को पेट्रोल से और 19 अक्टूबर 2014 से डीजल के दाम तय करने का अधिकार सरकारी तेल प्राधिकरण को चुका दिया गया है।
ये भी पढ़ें