संपत्ति पर कर: विरासत या वसीयत में संपत्ति दावा आम बात है। दादा-दादी, माता-पिता यानी पुरानी पीढ़ी के लोगों को विरासत या वसीयत में संपत्ति मिलती है। ऐसे में अक्सर लोगों के मन में एक सवाल उठता है कि क्या इस तरह के वोटिंग पर भी टैक्स की देनदारी बन रही है? आइए जानते हैं कि विरासत में मिली संपत्ति पर टैक्स कब दिया जाता है?
क्या कहता है भारत का कानून?
आम तौर पर किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका उत्तराधिकारी उत्तराधिकारी को संपत्ति मिल जाती है। वारिस को वसीयत के जरिए या फिर पर्सनल लॉ के मुताबिक यह प्रॉपर्टी मिलती है। पर्सनल लॉ का इस्तेमाल तब होता है, जब बिना किसी नुकसान के व्यक्ति की मौत हो जाती है। सबसे पहले आपको बता दें कि भारत में लिगेसी टैक्स (इनहेरिटेंस टैक्स/एस्टेट टैक्स) खत्म हो गया है। ऐसे में माता-पिता या परिवार की विरासत में मिली संपत्ति आयकर टैक्स के दायरे में नहीं आती है। फिर चाहे यह माता-पिता संपत्ति के तौर पर मिले हों या फिर वसीयत में। हालांकि कुछ खास पाठों में टेक्स की मर्ज़ी बन जाती है।
मेल खाता है
जब आप संपत्ति वसीयत या सक्सेशन में मिलते हैं, तो उस पर कोई टैक्स नहीं लगता है, लेकिन जब उस संपत्ति की पहचान होती है, तब कैपिटल गेन के नॉर्मल लॉ के होश से टैक्स लगता है। यह लाभ वह संपत्ति है जिसे प्राप्त हुआ है, उसके मकान के तट पर स्थित है और जब उसने दावा किया था तब आपको ग्लोबेशन का लाभ प्राप्त होता है। अगर साल 2001 से पहले की संपत्ति है तो 2001 में संपत्ति की कीमत क्या थी, उसका फॉर्मेशन कर उसे संपत्ति की कीमत माना जाएगा…
कब लगेगी प्रॉपर्टी पर टैक्स?
अगर संपत्ति को अधिशेष किया जाता है, तो होने वाली कमाई को कैपिटल गेन के दायरे में रखा जाता है, फिर चाहे वो संपत्ति आपको विरासत में मिली हो या आपने खुद पसंद हो। अचल संपत्ति की बिक्री पर कैपिटल गेन टैक्स की जुझारू इस बात पर कायम है कि जिससे आपको संपत्ति मिली है उसने प्रॉपर्टी कब शेयर और अधिकार में हुई थी। एक ही मकान के कोस्ट होंगे और होल्डिंग भी उसी से काउंट होगी। 2 साल से अधिक की होल्डिंग पर लंबी अवधि कैपिटल गेन टैक्स फिर भी। वहीं, होल्डिंग अवधि 2 साल से कम होने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स टेक्स है।
संपत्ति की बिक्री पर टैक्स कितना लगेगा?
संपत्ति के मालिक के 2 साल के भीतर ही किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और संपत्ति को उसके उत्तराधिकारी का आवंटन हो जाता है, ऐसे में संपत्ति की बिक्री की अल्पावधि कैपिटल गेन व्यक्ति टैक्स के दायरे में आएगी। बिक्री की रकम उसके वारिसों की आमदनी में जुड़ जाएगी और नौकरी के दांव से टैक्स बदल जाएगी। अगर होल्डिंग अवधि दो साल से अधिक है तो इक्विटी लाभ मिलने के बाद 20 प्रतिशत की दर से लंबी अवधि कैपिटल गेन टैक्स लगेगा।
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