<पी शैली ="टेक्स्ट-एलाइन: जस्टिफ़ाई करें;">पार्टी दो दशकों से चाहे जितनी भी हों लेकिन उनके नेताओं के रंग ढंग और जलवा जलाल में कोई कमी नहीं दिख रही थी। थोड़ी देर बाद कांग्रेस कार्यकर्ता जोश में भरकर रंगमहल पर रखे गए बैरिकेड्स को हिलाते और उस पर चढ़ते दिखें। उनका ये अंदाज खाली खाली करो कि जनता दिखती है के रूप में दिखाती है। पुलिस और नेताओं की इस मिली जुली कुश्ती में कसरती में पहला बैरिकेडा या हटा दिया गया और कांग्रेसी उल्लास में भरकर आगे इस तरह में अब तो राजभवन पहुंचकर ही मानेंगे।
आगे एक बड़ा बैरिकेड उसके आस पास दोगुणे जवान और वाटर कैनन के लिए तैयार वाहन खड़ा था। हालांकि इंतजार हो रहा था कि उस छोटे ट्रक का जिस पर सवार कमलनाथ, सुरेश पचौरी, गोविंद सिंह और जीतू पटवारी चले आ रहे थे कांग्रेस फॉर्म भरने का उत्साह बढ़ाने के लिए। मगर ये क्या देर से ही पानी का कैनन चलने लगा और पानी की धार में राजभवन की ओर जाने वाली कांग्रेसियों की भीड़ तितर बितर होने लगी। कमलनाथ का ट्रक पीछे मुड़ा और वो अपनी सुरक्षा की संभावनाओं के साथ आवास की ओर प्रस्थान हो गए। बचे रह गए लोगों के साथ जीतू पटवारी ने ठीक उसी तरह टीवी ट्रेजिट को बाइट और पुलिस को गिरफ्तार कर लिया। कहने को तो कांग्रेस आलाकमान से प्रदेश की कमेटियों को जो कार्यक्रम दिया गया था ये घोटालों का उसी का परिणाम था लेकिन सच्चाई ये भी है कि इस चुनावी साल में कांग्रेस पहली बार कूदने पर पानी कैनन और लाठी खाने को तैयार दिखती है। वरना कांग्रेस की रणनीतिकार शिवराज सरकार की मुंह जुबानी बुराईयां कर के ही सरकार में वापसी के ख्वाब देख रहे थे।
बोलने के बाद दुकान व्यू राकेश वासवानी मुझसे पूछो भैया क्या सिर्फ इतना प्रदर्शन करने से ही ये कांग्रेसी बीजेपी को हरा देंगे। वैसे भी वोट देने पर भी सरकार अब बीजेपी की बनती है, मतदाता क्या करें? रमेश जी के इन दोनों सवालों का हमारे पास कोई जबाव नहीं था तो वहां से स्माइल जा रहे हैं। दृश्य दो भोपाल का दशहरा मैदान। आम तौर पर यहां दिखने वाले ग्रांड टेंट के जैम जैंप साटेंट को सजा दी जाती थी। सुरक्षा के नाम पर ब्योजा की पुलिस और प्रशासन के लोग नहीं थे जो लोग थे वो आम आदमी पार्टी के अनुमत से कार्यकर्ता थे जिनको पूरे प्रदेश से बुलाया गया था उनके नेता अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान को सुना। मेरा रंग दे बसंती चोला के गाने के तेज बोल के बीच जब अरविंद मंच पर आए तो उनके कार्यकर्ता झूमने लगे। दिल्ली के बाद पंजाब में सरकार बनाने और गुजरात में दमदारी से चुनाव लड़ने के बाद अब आम आदमी पार्टी की ख्वाहिश मध्य प्रदेश में अपनी ताकत दिखा रहा है।
वैसे आम आदमी पार्टी ने प्रदेश के नगरीय निकायों के चुनावों में चौकाया है तो ही एक महापौर और 51 पार्षदों को जीता है। पार्टी के 86 प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे। भगवंत मान के चुटीले भाषण के बाद अरविंद केजरीवाल इस बात पर खुश हुए कि कार्यकर्ता कॉन्फ्रेंस में ही इतने लोग आ गए तो रैली में क्या होगा? मगर आप को बहुत कुछ करना बाकी है। पार्टी संगठन की कार्यकारिणी बनानी होगी जिसके प्रमुख के लिए प्रदेश के किसी व्यक्ति पर अधिकार करने के लिए चेहरे को तलाशना होगा। उसके बाद बीजेपी ओर कांग्रेस के बेहद करीबी वोट प्रतिशत में से अपना वोट निकालना आपके लिए आसान नहीं होगा। वैसे भी मध्य प्रदेश में दो पार्टियों के बीच किसी तीसरे दल की दाल मुश्किल से गलती हुई है। आने वाले दिनों में आप की तैयारी कैसी रहती है ये देखना होगा।
दृश्य तीन, छतरपुर का मेला ग्राउंड। यहां पर उपनाम का मेल चल रहा है। मेले के प्रवेश द्वार पर ही बागेश्वर धाम के प्रमुख कथावाचक धीरे-धीरे शास्त्री के पोस्टर लगे हैं तो उनकी ठीक बगल में ही आजाद समाज पार्टी का तंबू ताना है जिसके मंच पर भी सेना के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद पोस्टर सजे हैं और माइक से बागेश्वर बाबा को पाखंडी और ढोंगी बताया जा रहा है। पूरा पंडाल में आयें तीन से चार हजार लोग नीलापटा पहने हुए हैं जो इन दिनों पर्टल एसोसिएशन का पेटेंट रंग हो गया है। बाबा के भाई ने जब पर्टल के घर शादी की कटटा वेगासया था तो पर्टेलिटी लीडर चंद्रशेखर आजाद ने यहां आने का खुलासा किया और चंद्रशेखर अपने खास अंदाज में खुली कार से रोड शो करते हुए नौगांव से चले आ रहे हैं। फेयर ग्राउंड तक। पंडाल में ज्यादातर वो युवा थे जो सदनों में पढ़ने वाले थे और सोशल मीडिया के सदस्य चंद्रशेखर के दीवाने बने हैं। चंद्रशेखर ने मंच से बागेश्वर धाम के प्रमुख मोर्चा खोला कि अब कोई भी ब्राह्मण धर्म पर अत्याचार करेगा तो भीम सेना के युवा शांत नहीं होंगे
वे बैठे हुए लोगों के सामने मंदिर और दाखिले में स्कूल दावों में नहीं जाने को कहते हैं। चंद्रशेखर मध्य प्रदेश में आने वाले चुनावों में अपने दल की राजनीतिक जमीन भी तलाश रहे हैं। इसलिए मंच पर ओबीसी महासभा के नेताओं को भी बुलाया था। मध्य प्रदेश में एक हफते के अंदर तीन पार्टियों की हुई ये रैलियां बता रही हैं कि चुनाव का मंच सजने लगा है और आने वाले दिनों में और राजनीतिक प्रहसन देखें मिलेगें।
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