पंजाब पुलिस: वारिस पंजाब दे के प्रमुख और अलगाववादी नेता अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार करने की कोशिश सोमवार (20 मार्च) को भी जारी की गई है। इस बीच भगोड़े खालिस्तानी नेता के संगठन के एक वकील ने दावा किया कि पंजाब पुलिस ने अमृतपाल को गिरफ्तार कर लिया है और उसका नकली एनकाउंटर किया जा सकता है। वहीं, पाल अमृत के अंकल हरजीत सिंह और ड्राइवर हरप्रीत सिंह ने सोमवार को पुलिस के आगे सरेंडर कर दिया।
हालांकि, पुलिस का कहना है कि अमृतपाल सिंह अभी भी भिया है। पंजाब पुलिस ने अलगाववादी नेता के चार करीबियों को गिरफ्तार कर असम के डिब्रूगढ़ भेज दिया है। बताया जा रहा है कि इन लोगों के ऊपर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम यानी राष्ट्रीय नियमों के तहत कार्रवाई की गई है। आइए जानते हैं कि अब तक अमृतपाल सिंह पर कौन-कौन सी धाराओं में रिकॉर्ड दर्ज हैं और इनमें से किसे सजा मिल सकती है?
अजनाला कांड में दर्ज हुआ पहला मामला
आनंदपुर खालसा फोर्स के नाम से निजी सेना रखने वाले अमृतपाल सिंह के खिलाफ पहला मामला अजनाला कांड को लेकर दर्ज हुआ था। बीते महीने 23 फरवरी को पंजाब के अमृतसर में स्थित अजनाला में अमृतपाल सिंह के जाम और पुलिस के बीच भीषण झड़पें हुई थीं। अपने एक साथी लवप्रीत तूफान की रिलीज के लिए अमृतपाल अपनी पूरी फिल्मों के साथ अजनाला थाने भेजें। इस दौरान अमृत के अधिकार ने जोरदार हथियार और तलवारें जाती थीं।
इन लोगों ने बैरिकेड्स तोड़कर पुलिस पर हमला कर दिया, जिसमें करीब 6 जवान घायल हो गए। आखिरकार अजनाला पुलिस ने उपद्रवियों के आगे हार मानकर अमृतपाल के करीबी प्रेमप्रीत को रिहा कर दिया था। अमृतपाल के खिलाफ पहला मामला इसी बवाल को लेकर दर्ज हुआ था। पुलिस नेपाल अमृत सिंह के ही एक पूर्व करीबी वरिंदर सिंह की शिकायत में उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 365, 379बी, 323, 506, 148, 149 में मामला दर्ज किया गया था।
अजनाला कांड में क्या सजा हो सकती है?
इस मामले में खालिस्तानी नेता सहित 6 लोगों को दर्ज किया गया था। आईपीसी की धारा 365 अपहरण से जुड़ी है जिसमें सात साल तक की सजा और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। आईपीसी की धारा 379बी चोट लगने या जान से मारने की नीयत से चोरी से जुड़ी है, जिसमें 3 साल का कारावास या आर्थिक जुर्माना या दोनों दिए जा सकते हैं। आईपीसी की धारा 323 में अगर कोई अपनी इच्छा से किसी को चोट या नुकसान पहुंचाता है, तो ऐसा करने पर उसे 1 साल तक कैद या 1 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों ही सजा दी जा सकती है। धारा 506 में किसी को आपराधिक धमकी देने पर 2 साल की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है।
आईपीसी की धारा 148 के अनुसार, घातक विलंब के साथ बलवा करने पर जिससे किसी की मृत्यु हो सकती है, इसमें तीन साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। इसमें न तो आर्थिक दंड के साथ कारावास भी हो सकता है। स्ट्रीम 149 अवैध जामड़ड़े को लेकर फूट रहा है, जो एकराय से किसी घटना को करित करते हैं। इसमें भीड़ में शामिल हर शख्स पर घटना का आरोप लगाया जा सकता है। इस धारा के तहत अपराध के हिसाब से सजा मिलती है।
हेट स्पीच का भी मामला लगा
संरक्षणवादी नेतापाल अमृत सिंह के खिलाफ दो हेट स्पीच के भी मामले दर्ज हैं। निर्दिष्ट भाषण देने पर आईपीसी की धारा 153ए और 153एए के तहत मामला दर्ज होता है। वहीं, कुछ मामलों में धारा 505 भी जुड़ जाती है। इन मामलों में 5 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। वहीं, अनुमान है कि वारिस पंजाब के प्रमुख पर राष्ट्रीय दायित्व अधिनियम (एनएसए) के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है। दरअसल, उनके 4 करीबियों पर भी एनएसए के तहत कार्रवाई हुई है।
एनएसए में कब मिलता है जमानत?
राष्ट्रीय प्रतिबंध अधिनियम के तहत सुरक्षा को खतरा पहुंचने या किसी व्यक्ति के देश के लिए खतरा बनने की संभावना पर कार्रवाई की जाती है। अगर अदालत में साबित हो जाता है तो जमानत को एक साल तक जमानत नहीं मिलती है। वहीं, जमानत की बात करें तो जब तक कोर्ट को नहीं लगता कि अब उस शख्स से देश की सुरक्षा को कोई खतरा नहीं होगा, तब तक वो जेल में ही रहेगा.
आर्म्स एक्ट में भी स्थिति बनी
आनंदपुर खालसा फोर्स से जुड़े लोगों से प्रतिबंधित अवैध अधिकारों को लेकर अमृतपाल सिंह सहित कई व्यापारियों पर आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत सात साल के रिकॉर्ड से लेकर मूल कारावास तक की सजा हो सकती है। इसमें जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
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