भारत कच्चे तेल का आयात: पिछले साल फरवरी में रूस और यूक्रेन के युद्ध (रूस यूक्रेन युद्ध) शुरू होने से वैश्विक व्यापार पर व्यापक असर पड़ा है। इस युद्ध के कारण व्हीट से लेकर शेयर आयल तक के आयात और फॉर्म के आंकड़े बदल गए हैं। भारत और रूस के सौदेबाजी (भारत रूस व्यापार) पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ा है। युद्ध की शुरुआत से पहले भारत के कच्चे तेल आयात में रूस की झलक मामूली थी, जो पिछले एक साल के दौरान कई गुना बढ़ गई है।
हर रोज आ रहा है तो तेल
आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने रूस से फरवरी 2023 महीने के दौरान हर रोज औसतन 16 लाख बेड रॉ ऑयल का इस्तेमाल किया। इस तरह रूस पिछले महीने भी भारत का सबसे बड़ा कच्चा तेल बना रहा है। भारत के क्रूड ऑयल आर्किटेक्चर में रूस के दबदबे का अंदाजा इस बात से लग सकता है कि इराक और सऊदी अरब जैसे पारंपरिक सप्लायर भी रूस की आपूर्ति से पीछे रह जाते हैं।
इस तरह बढ़ा रूस का शेयर
रूस ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमला किया, जिसके बाद पूर्वी यूरोप में युद्ध की शुरुआत हुई। इस युद्ध के शुरू होने से पहले भारत के कुल कच्चे तेल आयात में रूस की एक प्रतिशत से भी कम था। पिछले महीने यानी फरवरी 2023 के आंकड़े होश से देखें तो अभी रूस अकेले भारत को 35 प्रतिशत कच्चा तेल आयात कर रहा है। इस तरह रूस लगातार पांचवें महीने भारत को कच्चा तेल बेचने वालों में नंबर वन बना रहा है।
भारत उठा रहा रहा पोस्टरों का लाभ
भारत अभी तेज आर्थिक विकास के दौर से गुजर रहा है। इस वजह से भारत की ऊर्जा जरूरतें भी तेजी से मिलती हैं। अभी चीन और अमेरिका के बाद भारत रॉ ऑयल का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। हर साल भारत कच्चा तेल खरीदने पर अपने विदेशी मुद्रा भंडार का बड़ा हिस्सा खर्च करता है। अभी तक युद्ध के चलते जब अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने रूस के ऊपर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए तो रूस ने कच्चे तेल की बिक्री शुरू कर दी। भारत जैसे देशों ने इस अवसर को विदेशी मुद्रा व्यापारी पर बोझ कम किया और आयात के लिए बाध्य होकर हाथ-हाथ लिया। अभी भी कई भारतीय कंपनियां रूस से ट्रिपल ऑयल खरीद रही हैं।
इन देशों को नुकसान हुआ
रूस से कच्चे तेल के आयात में इस अप्रत्याशित वृद्धि से सऊदी अरब और अमेरिका के देशों को नुकसान हुआ है। फरवरी महीने के दौरान सऊदी अरब से कच्चे तेल का मासिक आधार 16 प्रतिशत कम हुआ है। इसी तरह अमेरिका से आयात में मासिक आधार पर 38 फीसदी की कमी है। अभी रूस अकेले इराक और सऊदी अरब से ज्यादा तेल भारत को बेच रहा है, जबकि इराक और सऊदी अरब के अरब दशकों से भारत के सबसे बड़े कच्चे तेल आपूर्तिकर्ता रहे हैं।
इन देशों से भी रॉ ऑयल आता है
फरवरी महीने के दौरान भारत ने इराक से हर रोज औसतन 9.40 लाख डॉलर चार्ट ऑइल की खरीदारी की। रूस से पहले यही भारत का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता था। वहीं 6.48 लाख बैरल के साथ औसत के साथ सऊदी अरब अब तीसरे स्थान पर है। संयुक्त अरब अमीरात अब अमेरिका को पीछे छोड़ भारत का चौथा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है। फरवरी में अनुमान से अनुमानित 4.04 लाख हर रोज आया। वहीं अमेरिका से कच्चे तेल का आयात कम होकर 2.48 लाख बैरल प्रति दिन पर आ गया।
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