इंटरनेट की पहुंच बढ़ने के साथ ही भारत में ऑनलाइन (ऑनलाइन रिटेल) का बाजार तेजी से बढ़ा है। अभी भारत में ई-कॉमर्स (ई-कॉमर्स) के दायित्व की बड़ी विवरणी हुई है, लेकिन ग्राहकों के साथ होने वाले फ्रॉड से परेशानी आ रही है। यही कारण है कि अब सरकार ई-कॉमर्स धोखाधड़ी से निपटने में सख्ती करने की तैयारी कर रही है। खबरों की स्थिति तो जल्दी ही इस संबंध में नए और सख्त नियम जारी होने वाले हैं।
फ्रॉड के लिए माना जाएगा जिम्मेदार
अंग्रेजी अखबार की राय की एक ताजा खबर के अनुसार, उपभोक्ता मामले सभी ई-कॉमर्स संस्थाओं सहित का मंत्रालय समझौता और समझौते को लेकर सतर्कता को सख्त बनाने पर काम कर रहा है। सरकार का उद्देश्य ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर होने वाले फ्रॉड के लिए संबंधित संगठनों को जिम्मेदार बनाना है। अगर किसी कंपनी के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर सेलर के साथ ग्राहक के साथ धोखाधड़ी की जाती है, तो ऐसा माना जाएगा कि संबंधित कंपनी एक अनुबंध की भूमिका निभाने में शामिल हो रही है।
कंपनियों को भेजे गए सवाल< /h3>
शीट की खबर में उपभोक्ता के मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के दृष्टिकोण से कहा गया है, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ई-कॉमर्स प्राधिकरण को कुछ प्रश्न भेजे हैं। प्राधिकरण की ओर से उन सवालों पर प्रतिक्रिया मिलने के बाद चेतावनी को अमल में लाया जाएगा।
मांगा गया यह स्पष्टीकरण
खबर में दावा किया गया है कि आपने उस नोट को देखा है है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के द्वारा पिछले सप्ताह ई-कॉमर्स ब्रोकरेज को भेजा गया है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का यह नोट उपभोक्ता मामलों के विभाग के प्रश्नों पर आधारित है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ई-कॉमर्स कॉर्पोरेट से कहा है कि वे एक अनुबंध के तौर पर अपनी भूमिका को स्पष्ट कर दें।
अभी मिले हुए हैं ये संरक्षण
आपको बताएं कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 79 के तहत एलेगनेट, ट्रेडमार्क, स्नैपडील जिसमें सभी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म शामिल माने गए हैं, जो घोषणा और घोषणा को जोड़ने का काम करते हैं। इनसे संबंधित धारा के कुछ प्रावधान संरक्षण भी मिले हैं। हालांकि सरकार अब व्यवस्था में बदलाव करना चाहती है। सरकार चाहती है कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म एक समझौते के तौर पर अब ज्यादा जिम्मेदारी लें।
पहले भी प्रयास विफल रहा है
भारत में ई-कॉमर्स प्राधिकरण पर सख्ती करने का यह कोई पहला प्रयास नहीं है। इससे पहले सरकार ने जुलाई 2020 में नए ई-कॉमर्स से संपर्क किया था। नई चिंताओं में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से संबंधित बॉडी डीलर बनने पर रोक और फ्लैश सेल पर पाबंदी जैसी रणनीतियां बनाई गईं। हालांकि टॉप ई-कॉमर्स कंपनियां सरकार के इस कदम से खुश नहीं हुई थीं। यहां तक कि नीति आयोग जैसे सरकारी थिंकटैंक ने भी विरोध किया था। दूसरी ओर छोटे-छोटे ढांचों के संगठन द्वारा लंबे समय से इन शक्तियों के ऊपर सख्ती की मांग की जा रही है।






















