मनरेगा नई मजदूरी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (पीएम नरेंद्र मोदी) की केंद्र सरकार ने देश भर के ग्रामीण क्षेत्रों को शानदार तोहफा दिया है। ग्रामीण सड़क (ग्रामीण श्रमिक) को अब कुछ ही दिनों में ज्यादा मजदूर मिलने लगेंगे। हालांकि दिहाड़ी मजदूरों का दर (मनरेगा मजदूरी दर) अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग मात्रा में अनुमानित है।
अगले महीने से लागू होगा
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम (राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005) के तहत काम की चोट में बदलाव को लेकर 24 मार्च को अधिसूचना जारी की थी। अब अगले वित्त वर्ष यानी 2023-24 के लिए मनरेगा की नौकरी मिलती गई। इसका मतलब यह हुआ कि मनरेगा योजना के तहत ग्रैमीण बदलाव को 01 अप्रैल 2023 से ज्यादा पैसे मिलेंगे।
इस राज्य में सबसे ज्यादा दर
मनरेगा की बेईमानी में बदलाव के बाद अब हरियाणा में दिहाड़ी मज़दूर सबसे ज़्यादा 357 रुपये हो गए हैं, जबकि 221 रुपये प्रति दिन की मज़दूरी के साथ छत्तीसगढ़ सबसे नीचे है। केंद्र सरकार के पास महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम, 2005 की धारा 6(1) के तहत योजना की वर्किंग की जुड़ाव में बदलाव करने का अधिकार है। सरकार ने इसी अधिकार का उपयोग किया है।
यहां सबसे ज्यादा नौकरी
अगले महीने से मनरेगा की आशंका में स्टेट के होश से 07 रुपये से लेकर 26 रुपये तक की बात सामने आई है। पुराने बेवकूफ और नए घुसपैठ की तुलना करें तो राजस्थान में सबसे ज्यादा 10.38 प्रतिशत की वजह हुई है। राजस्थान में मनरेगा की मौजूदा दर 231 रुपये प्रति दिन है, जो अब 01 अप्रैल से बढ़ा 255 रुपये प्रति दिन हो जाएगा।
इन राज्यों में सबसे कम वृद्धि
इसी तरह झारखंड और झारखंड में करीब 8-8 फीसदी घोटाले हुए हैं. इन दोनों राज्यों में अभी भी मनरेगा की दिहाड़ी मज़दूरी 210 रुपये है, जिसे बढ़ाकर 228 रुपये कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के लिए मनरेगा के 8 प्रतिशत से कुछ ज्यादा पाएं। पहले इन दोनों राज्यों में दिहाड़ी मज़दूर 204 रुपये था, जिसे 17 रुपये बढ़ाकर 221 रुपये कर दिया गया है। प्रतिशत के होश से कर्नाटक, गोवा, मेघालय और मणिदीप में सबसे कम करीब 2-2 प्रतिशत की गड़बड़ी हुई है।
यह मनरेगा का उद्देश्य है
केंद्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार देने के लिए इस योजना की शुरुआत वर्ष 2006 में की थी। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के प्रभावी पहलुओं को एक वित्त वर्ष में कम से कम 100 दिनों के काम की छूट देता है, जिससे होने वाली कमाई से गरीब ग्रामीण पूरे जीवन यापन के स्तर में सुधार हो सके। ग्रामीण विकास मंत्रालय की इस योजना को कई अंतरराष्ट्रीय योजनाओं से लेकर मान्यता मिल चुकी है।
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