वेतन और पेंशन: केंद्र सरकार अपने आक्षेप का बड़ा हिस्सा अपने सिविल और डिफेंस कर्मचारियों (सिविल और रक्षा कर्मचारियों) के सैलेरी और पेंशन पर खर्च करती है। खर्च का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है। दो साल में सैलेरी पेंशन पर सरकार के खर्च के बोझ में 27 फीसदी से ज्यादा का उछाल आया है।
सैलेरी-पेंशन पर बढ़ा खर्च
लोकसभा में प्रश्नकाल में पूछे गए सवालों के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि 2019-20 में सिविल और डिफेंस स्टॉक के सैलेरी पेंशन पर सरकार को 619469.58 करोड़ रुपए खर्च करना पड़ रहा था। 2020-21 में ये बढ़ा 717424.67 करोड़ रुपये हो गया. और 2021-22 में ये खर्च बढ़ा 789836.92 करोड़ रुपये पर जा रहा है। 2019-20 और 2021-22 के बीच की तुलना करें तो इस दौरान सैलेरी पेंशन पर सरकार को होने वाले खर्च में 27.50 फीसदी का इजाफा हुआ है।
2019-20 में सिविल कर्मचारियों की सैलरी पर 304190.69 करोड़ रुपये तो उनके पेंशन पर 66144 करोड़ रुपये का खर्च आ रहा था। डिफेंस एरिया से जुड़े कर्मचारियों के सैलेरी पर 131324.28 करोड़ रुपये और उनकी पेंशन पर 117,810.24 करोड़ रुपये का खर्च आया था। 2021-22 में सिविल एम्प्लायज के सैलेरी पर सरकार को 447607.16 करोड़ रुपये इन कर्मचारियों के पेंशन पर 82146 करोड़ रुपये खर्च करना पड़ा था। वहीं डिफेंस सेक्टर के कर्मचारियों की सैलरी पर 143283.66 करोड़ रुपए और पेंशन पर 116799.85 करोड़ रुपए खर्च करना पड़ा था।
नागरिक संबंधी दिखावटी कर्मचारियों का पेंशन खर्च बहुत अधिक है
इन आंकड़ों में सबसे महत्वपूर्ण है कि सरकार डिफेंस सेक्टर के कर्मचारियों की पेंशन पर सिविल कर्मचारियों की पेंशन के लिए ज्यादा खर्च करने वाली है। जब सरकार से पूछा गया कि सैलरी पेंशन पर होने वाले खर्च के लिए सरकार क्या कर रही है तो वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि खाते में सावधानी की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है और किसी भी निर्णय को लेने के दौरान इसे ध्यान में रखना सबसे पहले रखा जाता है।
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