उच्च दूध की कीमतें: दूध के फैसले पर अटके हुए दायरे लगातार हो रहे हैं दायरे उत्पादों की हर जगह लगाने के लिए सरकार उत्पादों के आयात पर विचार कर रही है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत में दूध उत्पादन में कमी की वजह से कई दायरे में उत्पादों की आपूर्ति में परेशानी पैदा हुई है, जिससे उसकी सेल भी मिलती है। पिछले साल की राजधानी दिल्ली समेत कई जगहों पर मख्खन की आपूर्ति जारी थी। सरकार यह भी मानती है कि चार के संबंधों में जो जुड़ा हुआ है, उससे दूध की चमक मिलती है। उन्होंने कहा कि चारे की आपूर्ति में समस्या है क्योंकि पिछले चार वर्षों में चौदह की सफलता का रकबा भी स्थिर रहा है, जबकि दायरे का क्षेत्रफल छह प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।
पशुपालन और दायरे के सचिव राजेश कुमार सिंह ने अपने साथियों में किंकिदार त्वचा रोग के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में देश के दुग्ध उत्पादन में ठहराव का सामना करना पड़ा है। जबकि महामारी के बाद की मांग में चक्कर के कारण इसी अवधि में घरेलू मांग में 8-10 प्रतिशत की वजह आई है। उन्होंने कहा, ‘देश में दूध की आपूर्ति में कोई बाधा नहीं है। स्किम्ड मिल्क पाउडर के पर्याप्त भंडार हैं। लेकिन दायरे उत्पादों, विशेष रूप से वसा, मक्खन और घी आदि के मामले में पिछले वर्ष के जाम स्टॉक कम है। उन्होंने कहा कि दक्षिणी राज्यों में दूध के स्टॉक की स्थिति का सामना करने के लिए जरूरी होने पर, सरकारी मक्खन और घिसाव जैसे सामान आयात करने पर अधिकार रखते हैं। दक्षिणी राज्यों में अब उत्पादन का चरम समय शुरू हो गया है।
हालांकि उन्होंने कहा कि इस समय दुनिया भर में सेल साईट ऐसे में मौजूदा समय में आयात लाभ नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा, अगर ग्लोबल सेल टॉपिक हैं, तो आयात करने का कोई मतलब नहीं है। हम देश के बाकी हिस्सों में उत्पादन को स्वीकार करने के बाद सरकार कोई फैसला नहीं लेगी। उन्होंने कहा कि पिछले 20 दिनों में बेमौसम बारिश के कारण तापमान में गिरावट के साथ स्थिति अनुकूल हुई है ऐसे में उत्तर भारत में यह कमी कम बनी हुई है। पशुपालन और दायरे के सचिव ने बताया कि पिछले साल किंकीदार त्वचा रोग के प्रभाव की वजह से 1.89 लाख लोगों की मौत और दूध की मांग में महामारी के बाद के कारण देश का दूध उत्पादन स्थिर रहा है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में दूध उत्पादन वर्ष 2021-22 में 22.1 करोड़ टन रहा, जो इससे पिछले वर्ष के 20.8 करोड़ टन से 6.25 प्रतिशत अधिक था। हालांकि, 2022-23 में यह कम या स्थिर रहेगा। भारत ने आखिरी बार साल 2011 में दायरे में उत्पादों का आयात किया था।
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