राष्ट्रीय पेंशन योजना: राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में सुधार किए जाने को लेकर कमिटी का गठन किया गया है। वित्त मंत्रालय ने मेमोरेंडम कार्यालय जारी किया है जिसमें बताया गया है कि वित्त सचिव जो कि सचिव व्ययकर्ता भी है वो इस कमिटी की अध्यक्षता करेंगे। इसके अलावा इस कमिटी में डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड एजुकेशन, मिनिस्ट्री ऑफ पर्सनल, पब्लिक सर्वेंसेज एंड पेंशन, स्पेशन सेक्रेटरी, डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडिचर और पीएफआरडीए के खाते में इस कमिटी के अन्य सदस्य होंगे।
कमिटी की शर्तें रिफरेंस पर नजर डालें तो वो इस बात को देखें कि क्या मौजूदा पेंशन सिस्टम के फ्रेमवर्क और स्ट्रक्चर में बदलाव किए जाने की ट्रेन है। अगर कमिटी बदलाव की ट्रेन महसूस करती है तो क्या बदलाव किए जा सकते हैं जिससे राष्ट्रीय पेंशन में सरकारी कर्मचारियों के पेंशन में सुधार किया जा सकता है। स्ट्रीमिंग फील करने पर कमिटी किसी भी सरकारी अधिकारी के सुझाव के लिए चुन सकते हैं। कमिटी स्टेट्स से राय मशविरा कर सकती है। हालांकि ऑफिस मेमोरेंडम में ये नहीं बताया गया कि कमिटी अपनी सलाह कब तक सरकार को सौंपेगी।
12 महीने में वित्त के पास किए जाने के दौरान वित्त मंत्री निर्मल सीतारामन ने घोषणा की थी कि सरकारी कर्मचारियों के लिए राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली को और आकर्षण बनाया जाएगा। इसके लिए उन्होंने वित्त सचिव की अध्यक्षता में नेशनल पेंशन सिस्टम को लेकर कमिटी बनाने का एलान किया था। वित्त मंत्री ने कहा कि इस दायरे को केंद्र सरकार के कर्मचारियों और राज्य सरकार के कर्मचारियों सहित सभी पर लागू किया जाएगा।
वित्त मंत्री ने पिछले महीने वित्त मंत्री पर चर्चा के दौरान कहा था कि मैं वित्त सचिव की अध्यक्षता में पेंशन के मुद्दों पर विचार कर रहा हूं और आम नागरिकों की रक्षा करते हुए राजकोषीय प्रूडेंस को बनाए रखते हुए कर्मचारियों की तस्वीर को पूरा करने वाले दृष्टिकोण को विकसित करता हूं। कमिटी बनाने की घोषणा करता हूं। वित्त मंत्री ने कहा कि कमिटिटी की समस्याएँ उन्हें केंद्र सरकार और राज्य के दोनो बच्चों द्वारा बच्चों के लिए तैयार की जाएंगी।
राष्ट्रीय पेंशन समायोजन लेकर केंद्र और विरोधी पक्ष राज्यों के राज्यों के बीच घमासान छिड़ा हुआ है। केंद्र सरकार सहित राज्य सरकार के कर्मचारी इन दिनों राष्ट्रीय पेंशन लाभ का विरोध करते हुए पुराने पेंशन नामांकन को फिर से बहर करने की मांग कर रहे हैं। विवाद इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि कांग्रेस स्वतंत्र राज्य जैसे हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, छतीसगढ़ जैसे राज्यों में पुराने पेंशन को फिर से बहाल कर दिया गया है। जिसके बाद एनपीएस की समीक्षा करने का दबाव सरकार पर बढ़ता जा रहा है।
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