स्थानीय भाषा में आयोजित होने वाली परीक्षाओं के लाभ: पहले गृह मंत्रालय ने सीएपीएफ जीडी कॉन्स टेबल एजाजेक्शन का स्थान हिंदी और अंग्रेजी के साथ ही 13 क्षेत्रीय क्षितिज में करने की अनुमति दी। इसके बाद पर्सोनेल एंड ट्रेनिंग के डिपार्टमेंट ने एसएससी एमटीएस और सीएचएसएल परीक्षाओं को लेकर बड़ा फैसला सुनाया। एसएससी यानी स्टाफ सेलेक्शन कमीशन के ये एजेक्शन भी हिंदी और इंग्लिश के अलावा 13 रीजनल लैंग्वेजेस में आयोजित किए जाएंगे। परीक्षा आयोजित करने वाले आपस में यह महसूस करते हैं कि इससे स्थानीय उम्मीदवारों की भागीदारी इन परीक्षाओं में नामांकन और अधिक से अधिक उम्मीदवारों को एजाजेशन में भाग लेने का मौका मिलेगा।
क्या कहते हैं जानकार
इस बारे में अर्नि विश्वविद्यालय के वीसी प्रोफेसर वेंकट वी.पी.आर.पी का कहना है कि ये निर्णय उम्मीदवारों के हक का साबित होगा। इससे बड़ी संख्या में छात्रों को लाभ पहुंचेगा और एजेज में इच्छुक की भागीदारी और नामांकन होगा। पहले जो छात्रों की भाषा में रुकावट की वजह से एजाजमेंट में या तो शामिल नहीं होते थे या अच्छा प्रदर्शन नहीं करते थे, वे भी अब इस परीक्षा में शामिल हो सकते हैं हो सकता है एडमॉन और ग्रेट परफॉरमेंस भी कर सकते हैं।
भाषा बदलने से बहुत कुछ बदलेगा
प्रोफेसर वेंकट का ये भी कहना है कि भाषा की जानकारी से उम्मीदवार के समग्र ज्ञान को नहीं भरा जा सकता है। कई बार वे इंग्लिश में अच्छे नहीं होते हैं लेकिन अन्य क्षेत्रों में बहुत अच्छा प्रदर्शन करते हैं। यही कई बार हिंदी के साथ भी होता है। इसलिए जब क्षेत्रीय दायरा में लिया जाएगा तो उम्मीदवारों को लैंग्वेज का बैरियर नहीं बनना होगा। वे अपनी भाषा जिस पर अपनी पकड़ रखते हैं उसी में कांफिडेंस के साथ अंसार करेंगे।
बढ़ती कांफिडेंस और टैलेंटगिता
इससे उम्मीदवारों का कांफिडेंस बढ़ता है और वे पहले की तुलना में बड़ी संख्या में परीक्षाओं का फॉर्म भरेंगे। यानी इस बदलाव के आने से और अधिक छात्र इस परीक्षा के लिए आवेदन करेंगे। कई बार ऐसा देखने में आता है कि उम्मीदवार को विषय की समझ होती है लेकिन वे विश्वास के साथ अपनी बात नहीं कह पाते। जब भाषा का माध्यम अपनी हो जाएगा तो ये समस्या भी नहीं रहेगी। कुल मिलाकर क्षेत्रीय दायरों में जांच का निर्णय हर तरह से छात्रों के हित में है और इसके अन्य क्षेत्रों में भी विस्तार होना चाहिए।
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