एसबीआई इकोरैप रिपोर्ट: देश में कोविड महामारी (कोविड महामारी) के दौरान अप्रैल 2020 से शुरू भोजन के मुफ्त वितरण (मुफ्त खाद्य योजना) से पिछड़े प्रदेशों और सबसे निचले इलाकों वाले राज्यों में लगातार भारी कमी आई है। यह दावा एक्सपोजर इकोरैप (SBI Ecowrap) की एक रिपोर्ट में किया गया है। जानिए क्या है यह रिपोर्ट…
देखें क्या है रिपोर्ट
ब्राजील इकोरैप की एक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष सामने आया है। इस परिकलन के साथ एसबीआई ने यह पता लगाना शुरू किया कि कैसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत मुफ्त खाद्यान्न वितरण योजना में अत्यंत गरीब आबादी के लिए धन के वितरण को प्रभावित किया जाता है।
देश में घटी गैरबराबरी
देश में कोविड महामारी के दौरान मुफ़्त अनाज के ढेरों का वितरण हुआ है। इससे देश में गैरबराबरी में कमी आई है। शाकाहारी इकोरैप की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश के कई लेटेरेजी स्टेट्स में फ्री राशन डिस्ट्रीब्यूशन में लगातार भारी कमी आई है। छोटे किसानों के हाथ में भी पैसा भेजता है। आकर्षक ने ‘गरीबों में सबसे गरीब लोगों के बीच मुफ्त अनाज वितरण धन के वितरण को कैसे प्रभावित कर रहा है, इस पर रिसर्च किया गया। इसमें आर्थिक गैरबराबरी और छोटे किसानों तक पैसे की बात सामने आई है।
आईएमएफ आंकड़ों से एसबीआई रिपोर्ट तैयार
इसके लिए विदेशी मुद्रा कोष (IMF) के उस दस्तावेज़ से संकेत लिया गया, जिसका निष्कर्ष निकाला गया कि कैसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKAY) ने भारत में अत्यंत गरीबी को प्रतिक्रिया से प्रभावित वर्ष 2020 में 0.8 प्रतिशत के न्यूनतम स्तर रखने में भूमिका निभाई है। पहचान विश्लेषण में 20 राज्यों के लिए गिनी गुणांक पर चावल की खरीद के हिस्से के प्रभाव का विश्लेषण किया गया है। वहीं 9 राज्यों के लिए गिनी गुणांक पर व्हीक के खरीद के हिस्सों के प्रभाव का विश्लेषण किया गया है।
गैरबरा घटने की वजह
आसान हो कि अब भी चावल भारत में ज्यादातर लोगों के लिए मुख्य भोजन है। बताया जा रहा है कि, ”नतीजे की देनदारी तो धन के लेनदेन वितरण वाले अलग-अलग आबादी वाले चावल और व्हीट की खरीद ने अपेक्षाकृत शेष राज्यों में गिनी अनुपात में कमी के माध्यम से आय असानता को कम करने में उल्लेखनीय प्रभाव डाला है। . इन राज्यों में असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।
छोटे किसानों को फायदा होगा
रिपोर्ट के मुताबिक, हायर प्रोक्योरमेंट यानी ज्यादा खरीद से मुफ्त अनाज वितरण के जरिए गरीबों में बेहद घबराहट का फायदा मिल रहा है। इससे खरीद की वजह से छोटे किसानों के हाथ में भी पैसा आया है। रिपोर्ट से बताया गया कि आने वाले दिनों में सरकार की ओर से कई राज्यों में सीरियल प्रोक्योरमेंट में तेजी से देखने को मिल सकता है।
अब दिसंबर 2023 तक मुफ्त राशन मिलेगा
वही केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सीमा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत 81.35 करोड़ लोगों को पूरे 1 साल तक यानी जनवरी से दिसंबर 2023 तक मुफ्त राशन देने का फैसला किया था। एनएफएसए के तहत सरकार 31 दिसंबर 2022 तक प्रति व्यक्ति हर 5 किलो अनाज 2 से 3 रुपये प्रति किलो की दर से मिलने वाला अनाज मुफ्त दिया जाएगा। अब एनएफएसए के तहत मुफ्त अनाज दिए जाने की वजह से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिए शून्य लागत पर अनाज उपलब्ध होंगे।
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