जोशीमठ डूब रहा है: उत्तराखंड के जोशीमठ (जोशीमठ) कस्बे में और भी घरों, छतों और छत पर गंदगी दिखाई देती है, वहीं राज्य के मुख्य सचिव एस एस संधू ने सोमवार (9 जनवरी) को कहा कि एक-एक मिनट अहम है। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (आपदा प्रबंधन प्राधिकरण), चमोली (चमोली) के एक बुलेटिन के अनुसार जोशीमठ में सोमवार (9 जनवरी) को 68 और घरों में दरारें पड़ी हैं, जिसके बाद जमीन धंसने से प्रभावित घरों की संख्या 678 हो गई है, जबकि 27 और सुरक्षित स्थान पर पहुंच गया है।
इसमें कहा गया है कि अब तक 82 को पूरी तरह से सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया है। संधू ने जोशीमठ में स्थिति की समीक्षा के लिए राज्यों के विभिन्न अधिकारियों के साथ बैठक की और उन लोगों को घरों से निकालने के काम में तेजी लाने को कहा ताकि वे सुरक्षित रहें। उन्होंने कहा, ”एक-एक मिनट महत्वपूर्ण है।” जिला प्रशासन ने असुरक्षित 200 से अधिक घरों पर लाल निशान लगा दिया है। उसने इन घरों में रहने वाले लोगों को या तो अस्थायी राहत छतों में जाने या भाड़े के घर में स्थानांतरित होने को कहा है। इसके लिए प्रत्येक परिवार को अगले छह महीने तक राज्य सरकार से 4000 रुपये मासिक सहायता मिलेगी।
कटोव को रोकने का काम शुरू होना चाहिए
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और राज्य आपदा मोचन बल के कर्मियों को राहत और बचाव के प्रयास किए जा रहे हैं। जोशीमठ (जोशीमठ) में 16 स्थानों पर प्रभावित लोगों के लिए अस्थायी राहत केंद्र बनाए गए हैं। इनके अलावा, जोशीमठ में 19 रहने, अतिथि गृहों और स्कूल विकल्पों को तथा शहर से बाहर पीपलकोटी में 20 ऐसे लोगों को प्रभावित करने के लिए चिह्नित किया गया है। संधू ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में कटव रोकने का काम शुरू होना चाहिए और जिन जर्जर मकानों में दरारें आई हैं, उन्हें फौरन मलाया जाना चाहिए ताकि और अधिक नुकसान न हो।
अपने घरों से जुड़े हुए मोह नहीं तोड़ पा रहे हैं
अधिकारियों ने कहा कि प्राइक्लिंज पाइपलाइन और सीवर लाइन के टूटने से भी ठिकाना जा सकता है क्योंकि इससे प्रभावित क्षेत्र में चीजें और जटिलता हो सकती है। प्रभावित इलाके में रहने वाले कई परिवारों से जुड़े हुए मोहरे नहीं पा रहे हैं और उन्हें छोड़ना नहीं चाहते हैं। जो लोग अस्थायी आश्रयों में पहुंच गए हैं, वे भी खतरे में पड़कर अपने घरों तक पहुंच गए हैं।
घर बनाने के लिए लगा था पूरा जमाना
कस्बे में सबसे बुरी तरह से प्रभावित क्षेत्रों में मारवाड़ी वार्ड की बुजुर्ग नागरिक भगवानी देवी ने कहा कि उन्होंने खुद का घर बनाने के लिए अपनी पूरी जामपूंजी लगा दी और अब उन्हें छोड़कर एक राहत शिविर में जाने को कहा जा रहा है। उन्होंने एक निजी समाचार चैनल से कहा, ”मैं कहीं और जाने के बजाय उसी घर में मर जाना पसंद करुंगी जो मेरा है। आपका घर जैसा मुझे और कहां मिलेगा।”
अपने घर की दीवारों में दरार को निहारती हैं
मनोहरबाग निवासी सूरज कपरवान की कहानी भी कुछ ऐसी है। उनका परिवार अब भी घर से लौटने का फैसला नहीं ले पाया है। सिंगधार की रहने वाली ऋषि देवी का घर धीरे-धीरे धंसता जा रहा है। उन्हें अपने परिवार के साथ एक सुरक्षित स्थान पर छोड़ दिया गया, लेकिन वे प्रतिदिन अपने घर लौट जाते हैं जबकि उनका परिवार उन्हें ऐसा करने से रोकता है। देवी अब आपके पास अपने घर की दरार की दीवारों को निहारती रहती हैं।
रमा देवी के परिवार को दरार के बाद घर के बरामदे में सोने को मजबूर होना पड़ा और अंत: उन्होंने काम में आकर घर छोड़ दिया। एक प्राथमिक विद्यालय के भवन में शरण लेने वाली लक्ष्मी ने कहा कि वह निवास करना चाहती है। उन्होंने कहा, ”हम कब तक इस अस्थायी राहत शिविर में रहेंगे।”
कांग्रेस नेता की मोदी सरकार पर आरोप
कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने की त्रासदी को केंद्र सरकार को राष्ट्रीय आपदा घोषित करना चाहिए तथा वहां रेलवे एवं अन्य परियोजना के कार्यों को उचित विश्लेषण के बाद ही चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाने की मंजूरी प्रदान करनी चाहिए। पार्टी के मीडिया एवं प्रचार प्रमुख पवन खेड़ा ने यह आरोप लगाया कि जोशीमठ की त्रासदी की खबरें पहले से आ रही थीं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र एवं उत्तराखंड की ‘डबल इंजन’ की सरकार बहुत देर से जागी।
जोशीमठ की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट किया, ”प्रकृति रक्षति रक्षितः। उत्तराखंड के देवस्थल, जोशीमठ में जो प्रकृति से खिलवाड़ कर, बेलगाम ‘विकास’ से लकीरें आईं हैं, वह पूरा देश संवेदनशील है और जोशीमठ के लोगों के साथ है।” वे सरकार की मांग की कि जोशीमठ की आपदा को ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित किया जाए, वहां रेलवे और जलविद्युत समेत सभी नई परियोजनाओं पर तब तक रोक दें, जब तक कि साधक, वैज्ञानिक, पर्यावरण जोखिम और स्थानीय लोगों की कोई नवनियुक्त उच्च स्तरीय समिति अपनी रिपोर्ट न दे।
उचित सदस्यों के खाते में जाने के लिए उचित-कांग्रेस
खड़गे ने कहा, ”जोशीमठ के कनेक्शनों को बजाय ₹5000 के बजाय, उचित सब्सक्राइबर के खाते से भुगतान दिया जाए।” हो गया एक ‘नया जोशीमठ’ बसाया। स्थानीय लोग और विपक्षी कांग्रेस एनटीपीसी की एक सुरंग के निर्माण को, हर मौसम में जाने के लिए चार धाम मार्ग के निर्माण को इस मामले के लिए जिम्मेदार बनाए हुए हैं।
सुरंग का जोशीमठ कस्बे में हो रहे जा रहे से कोई लेना-देना नहीं
हालांकि, सरकारी स्वामित्व वाली बिजली निर्माता एनटीपीसी ने कहा है कि उनका तपोवन विष्णुगढ़ जलविद्युत प्रोजेक्ट की सुरंग का जोशीमठ में हो रहे से कोई लेना-देना नहीं है। बयानों के अनुसार, ”तपोवन विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना की सुरंग को भी जोशीमठ कस्बे में जमीन धंसने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
यह स्पष्ट है कि एनटीपीसी (एनटीपीसी) ने जाली सुरंग जोशीमठ कस्बे के नीचे से नहीं गुजर रही है। आधिकारिक से कोई लेना-देना नहीं है। इस तरह की विषम स्थिति में कंपनी जोशीमठ की जनता के साथ अपनी सहानुभूति और संवेदना प्रकट करती है।”
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को लेकर क्या कहा?
वहीं, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी) के निदेशक कलाचंद सरीन ने कहा, ”हम इसे खारिज करते हैं तो नहीं कर सकते, लेकिन स्पष्ट रूप से यह भी नहीं कह सकते क्योंकि एनटीपीसी (एनटीपीसी) की माइनर प्रभावित क्षेत्र से बहुत दूर है। हालांकि, समस्या के विस्तृत विश्लेषण से ही कारणों का पता चल सकता है।’ हाजिर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का उद्देश्य से मंगलवार (10 जनवरी) को इसका उल्लेख करने को कहा है।
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