डकोटा विमान इतिहास: कोलकाता हवाईअड्डे पर दशकों से झर्जरहाल स्थिति में ओडिशा के पूर्व चित्र बीजू पटनायक का ‘डकोटा’ विमान 16 जनवरी को ओडिशा पहुंच सकता है। बीजू जनक इस विमान का उपयोग करते थे। इतिहासकार अनिल धीर ने बताया कि पूर्व उल्लेख में 1947 में इंडोनेशिया के प्रधानमंत्री सुतन सजहरिर को सुरक्षित निकालने के लिए इस विमान का इस्तेमाल किया गया था।
बुधवार को कोलकाता स्थित नेता जी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय (एनएससी भारतीय) हवाई अड्डे पर चार सदस्यीय दल तकनीकी विमान के कलपुर्जों को अलग करना शुरू करेंगे और इसे सड़क मार्ग से ओडिशा ले जाएंगे।
कौन थे बीजू पतयक
विमान को यहां बीजू पूर्वांचल हवाई अड्डे पर एक निर्धारित स्थान पर रखा जाएगा। बीज़ूक तेंदुआ ओडिशा के विवरण नए पुरतायक के पिता थे। अनुरक्षित है कि डकोटा, एक सैन्य परिवहन विमान है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एक स्थिति) ने 1.1 एकड़ जमीन समझौते की है, जहां डकोटा विमान को जनता के लिए रखा जाएगा।
डकोटा विमान कितना बड़ा है
ओडिशा के वाणिज्य एवं परिवहन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि डकोटा विमान लगभग 64 फुट, 8 इंच लंबा है और इसके पंख 95 फुट तक बरकरार हैं। अधिकारियों ने कहा कि तकनीकी दल यहां हवाईअड्डे पर विमान को फिर से जोड़ने और मरम्मत का काम करेगा।
‘सीक्रेट मिशन’ को दिया था अंजाम
इतिहासकार ने कहा कि एक समाज सुधार और राजनीतिक होने के अलावा, बीजू पूर्वकालिक एक कुशल पायलट थे, जिन्होंने उच्च जोखिम वाले अभियान को अंजाम दिया था। उन्होंने कहा कि बीजू पतयक ने विमान के जरिए गुप्त रूप से भारतीय लड़ाकू विमानों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा।
कलिंग एयरलाइंस की स्थापना
इंडोनेशिया ने सुतन सजहरिर को बचाने के लिए दो बार बीजू पूर्वोत्यक को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भूमिपुत्र’ से अलंकृत किया था। सक्रिय राजनीति में आने से पहले बीजू पाइतक ने कलिंग एयरलाइंस की स्थापना की थी जो कलकत्ता से संचालित थी। वे ब्रिटिश शासन के तहत रॉयल इंडियन एयरफोर्स के सदस्य भी थे।
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