"करोड़ों चेहरे, और उनके पीछे करोड़ों चेहरे, ये हैं रास्ते कि फिसलन का छत, जमीन जिस्मों से तय हो गया है, क़दम तो क्या तिल भी धरने की अब जगह नहीं है। ये नज़र हूँ तो सोचता हूँ कि अब जहाँ हूँ, वहीं सिमट के पहाड़ हूँ मैं मगर करूँ क्या जानता हूँ कि रुक गया तो जो भीड़ पीछे से आ रही है, वो मुझ को पैरों पर कुचल कर कुचल देगा तो अब जो चलता हूँ मैं , तो फ़िट मेरे अपने पैरों में आ रहा है किसी का सीना, किसी का बाज़ू, किसी का चेहरा चलूँ तो औरों पे ज़ुल्म ढाऊँ रुकूँ तो औरों के ज़ुल्म जीतूँ " जावेद शोक की इस सबसे बेहतरीन रचना ने हर दिलो में एक अलग चाप छोड़ी हैं।
जावेद की लिखी कविताएं, शायरियां विश्व प्रख्यात हैं। हाल ही में जावेद व्यक्त की जिंदगी पर लिखी किताब ‘जादूनामा’ का विमोचन किया गया। इस पुस्तक के लेखक अरविंद मंडलोई हैं और इसका प्रकाशन मंजुल पब्लिकेशन ने किया है। ये किताब जादू से जावेद बनने के चुंबन और दास्तानों को समेटे हुए हैं आपको बता दे ‘जादू’ जावेद सहकारी साहब का निकनेम है। करीब 450 पन्ने की इस किताब में कई ऐसे किस्से और कहानिया हैं जो आम लोगो से अननी हैं। आज बॉलीवुड किस्से में जानिये खुद जावेद की ज़बानी इन चुम्बनों और कहानियों के बारे में अमित भाटिया के साथ सिर्फ एबीपी लाइव पॉडकास्ट पर।