सुखविंदर सिंह सुक्खू आईएमडी स्थापना दिवस भाषण: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दिल्ली में रविवार (15 जनवरी) को आयोजित सीजन विभाग के 148वें दिन राज्य में उत्तराखंड के जोशीमठ की तरह भू-धंसाव की संभावना की घोषणा की। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में उत्तराखंड के जोशीमठ की तरह धीरे-धीरे जमीन के अस्तित्व का अनुभव हो सकता है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने आशंका जताई कि भू-धंसाव की घटनाएं पश्चिमी हिमालय में जान और माल को तेजी से खतरे में डाल सकती हैं।
सीएम सुक्खू ने कहा, ”जोशीमठ की तरह हिमाचल प्रदेश में भी कुछ क्षेत्र हैं जो धीरे-धीरे खिसक रहे हैं। हम पर्याप्त तकनीक के साथ इन क्षेत्रों के लिए प्रभावी तरीके से योजना नहीं बना सके।” वे मौसम विभाग के दिन स्थापना कार्यक्रम में बोलते हुए भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह से आपदा प्रबंधन से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए हिमाचल प्रदेश आने का आदेश दिया।
कृपया सुक्खू ने कहा, ”कृपया हिमाचल प्रदेश दुर्लभ। हम आपदा संबंधी मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं। आप अपने पड़ोसी राज्य से हैं और आप हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक स्थिति जानते हैं।”
क्लाउड फटने की घटनाओं का जिक्र सीएम सुक्खू ने किया है
सीएम सुक्खू ने कहा कि किन्नौर और स्पीति के 30 इलाकों में अक्सर बादल फटते हैं। उन्होंने कहा, ”इन सीमाओं को देखने की जरूरत है। करीब 2-3 साल पहले किन्नौर में बादल फटा था, जिससे जीवन और संपत्ति को ही नुकसान नहीं हो सकता था, बल्कि हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट को भी नुकसान हुआ था। कृपया इस पर ध्यान दें।”
धामी भी कार्यक्रम में शामिल हुए
उत्तराखंड के उत्तराखंड पुष्कर सिंह धामी ने किसी भी एजेंसी के माध्यम से कार्यक्रम में हिस्सा लिया लेकिन उन्होंने लोगों को संदेश नहीं दिया। धामी के स्टाफ ने जानकारी दी कि भोपाल को कार्यक्रम के बीच में ही छोड़ना पड़ा क्योंकि दिल्ली जाने के लिए उन्हें फ्लाइट पकड़नी थी।
चूंकि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सरकारी अधिकारियों और सदस्यता को मीडिया से बात करने और सोशल मीडिया पर डाटाबेस को रोक दिया है, इसलिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधिकारियों ने जोशीमठ की भूवैज्ञानिक जांच को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की।
भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्री क्या कहते हैं
कार्यक्रम में भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि मौसम के अनुमानों में 40 फीसदी तक सुधार हुआ है। उन्होंने कहा, ”मौसम के भविष्यवाणियों में 40 प्रतिशत तक सुधार हुआ है। पिछले पांच सालों में गंभीर मौसम के दौरान कई आशंकाओं की आशंका में करीब 20 से 40 प्रतिशत का हिसाब हुआ है। आपदा से जुड़े मामलों की निगरानी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हैं। सरकार के लिए हमारी यह सर्वोच्च प्राथमिकता है। डॉप्लर सीज़न 15 से बढ़कर 37 हो गए हैं और 2025 तक 25 और आ गए हैं।”