जोशीमठ भूमि का डूबना: जोशीमठ इस भयानक संकट से जूझ रहा है। यहां के लोगों का काफी सामना हो रहा है। भू-धंसाव को लेकर हालात दिन-प्रतिदिन और खराब होते जा रहे हैं। घरों में दरारें लगातार बढ़ती जा रही हैं। सोमवार (16 जनवरी) को दरार निर्माण की संख्या बढ़कर 849 हो गई। प्रदेश के आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने इसकी जानकारी दी है।
सचिव रंजीत सिन्हा के कनेक्शन से एनडीटीवी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जोशीमठ में सोमवार को क्रैक बिल्डिंग की संख्या 849 पहुंच गई है। इनमें से 165 इमारतें असुरक्षित क्षेत्रों में स्थित हैं। सचिव ने कहा, “अब तक 237 एमबीए के 800 सदस्यों को अस्थाई राहत शिविरों में भेजा जा रहा है।”
दो और होटल पूरी तरह से झुके हुए हैं
जानकारी के अनुसार, असुरक्षित घोषित किए गए दो बेरोजगार ‘मलारी इन’ और ‘माउंट व्यू’ को जैज करने की प्रक्रिया अभी भी चल रही है। इसी बीच दो और होटल- ‘स्नो क्रेस्ट’ और ‘धूमकेतु’ भी भू-धंसाव की जद में आ गए और एक दूसरे से चिपक गए, जिसके मद्देनजर दोनों को छोड़ दिया गया। स्नो क्रेस्ट के मालिक की बेटी पूजा प्रजापति का कहना है कि दोनों अलग-अलग लोगों के बीच का अंतर पहले लगभग चार फीट था, लेकिन अब यह कुछ इंच तक सीमित हो गया है और उनकी छतें लगभग एक-दूसरे को छू रही हैं।
190 ऍमबीआई को मिला
सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया, “उत्तराखंड सरकार की ओर से इंतजाम सहायता के रूप में 190 प्रभावित को 2.85 करोड़ रुपये दिए गए हैं। अभी तक 237 सदस्यों को अस्थाई राहत शिविरों में लगाया जा रहा है।” सचिव ने कहा, “केंद्रीय सरकार के स्तर पर केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान की ओर से क्षतिग्रस्त होने का नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है। अभी तक 400 मकानों का नुकसान हो चुका है।”
पानी के जुड़ाव में कमी आई
रंजीत सिन्हा ने कहा, “वाडिया संस्थान द्वारा जोशीमठ में तीन भूकंपीय स्टेशनों के संबंध में आंकड़े भी प्राप्त किए जा रहे हैं।” वे जमीन से होने वाले पानी में शामिल होने में फिर से कमी आने पर संतोष व्यक्त करते हैं। बता दें कि जेपी कॉलोनी में 2 जनवरी से लगातार मटमैला पानी बरस रहा है। पहले पानी का जिक्र 540 प्रति मिनट था। हालांकि, अब यह घटक 163 लीटर प्रति मिनट रह गया है। इससे पहले भी जुड़ने में कुछ कमी दर्ज की गई थी, लेकिन रविवार को फिर इसमें होने से प्रशासन की चिंता बढ़ गई थी।






















