एके-203 असॉल्ट राइफलें: भारत के सैनिकों को जल्दी ही एक-203 असॉल्ट राइफल का पहला खेप मिलने वाला है। पिछले कई सालों से लंबित पड़े प्रोजेक्ट की शुरुआत हो चुकी है। उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के कोरवा स्थित इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (आईआरआरपीएल) की निर्माण इकाई ने एके-203 कलाश्निकोव असॉल्ट राइफल्स का उत्पादन शुरू कर दिया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, पिछले हफ्ते सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने दावा किया था कि इस साल मार्च तक सेना को 5,000 एके-203 राइफलों की पहली खेप सौंपी जाएगी। जबकि अगले 32 महीनों में 70 हजार एके- 203 राइफल्स को भारतीय सेना को दी गई स्क्रिप्ट्स सौंपी गईं। अगले 10 वर्षों में 6 लाख 1 हजार 427 राइफल्स निर्मित सेकेडियां।
इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड के ज्वाइंट वेंचर
एके-203 प्रोजेक्ट की घोषणा साल 2018 में की गई थी, लेकिन इसकी लागत, रॉयल्टी और टेक्नोलॉजी को लेकर बात नहीं बन पाई थी इसलिए इस प्रोजेक्ट के शुरू होने में इतनी देरी हुई। अब इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड प्लांट में राइफल्स का निर्माण शुरू हो गया है।
उत्तर प्रदेश के अमेठी में कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में 7.62 असली असॉल्ट राइफल्स का पहला खेप बनाया गया है। भारतीय सेना को जल्द ही इसकी सूचना मिलेगी। इसके साथ ही कारखाने के पास भारत के दूसरे सुरक्षाबलों को भी हथियार धारण करने की क्षमता है। इसके अलावा कंपनी के पास देरी को दूसरे देशों को भी समझने की क्षमता है।
एके-203 असॉल्ट राइफल की खूबियां
एके 203 राइफल एक सीरीज की सबसे घातक और आधुनिक आधुनिक राइफल है। इसमें वे सभी ब्रियां हैं, जो पारंपरिक एके सीरीज में थीं। रूस ने इसे 2018 में तैयार किया था। एके 203 असॉल्ट राइफल में रोशनी है और हर मौसम में यह अवरुद्ध है। इस हथियार से एक मिनट में 700 राउंड फायरिंग की जा सकती है। इसकी रेंज 500 से 800 मीटर है। एक मैग्जीन में 30 राउंड की फायरिंग की क्षमता है। एके 203 असॉल्ट राइफल का वजन 3.8 किलोग्राम है। जबकि इसकी पंक्ति 705 इमोजी है।
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