एससीओ इंडिया: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 2023 का साल भारत के लिए बेहद खास है। इस ज़बरदस्त भारत दुनिया की सबसे ताकतवर आर्थिक समूह G20 की चिपचिपाहट के साथ ही शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की भी अध्यक्षता कर रहा है।
शंघाई सहयोग संगठन के अध्यक्ष के तौर पर भारत इसके सभी सदस्यों देशों के साथ बेहतर तालमेल और साथ में योजना की नीति पर आगे बढ़ रहा है। भारत एससीओ की अध्यक्षता के दौरान सकारात्मक भूमिका निभा रहा है, यूरेशिया की बेहतरी के लिए भी इस मंच का उपयोग कर रहा है।
मई में एससीओ विदेश मंत्री की बैठक
ओएससी के सदस्य देशों के विदेश मंत्री की बैठक 4 और 5 मई को गोवा में होनी है। भारत इसकी तैयारियों में शामिल है. उन्होंने सदस्य देशों को इस बैठक में शामिल होने के लिए अधिकृत आमंत्रण भी भेजा है। इसमें पाकिस्तान और चीन भी शामिल हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्री की जिम्मेदारी बिलावल भुट्टो निभा रहे हैं, वहीं किन गांग (किन गैंग) चीन के नए विदेश मंत्री बने हैं। कुछ दिन पहले ही भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आपत्तिजनक बयान देने की वजह से पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो अंतरराष्ट्रीय को बिरादरी में बहुत किरकिरी का सामना करना पड़ा था। इसके बावजूद भारत का बिलाव भुट्टो को बोल्ड विदेश नीति के होश से अच्छे संकेत हैं। हालांकि पाकिस्तान के विदेश मंत्री इस बैठक में शामिल होंगे या नहीं, इसे लेकर अभी पाकिस्तान से कोई बयान नहीं आया है।
पाकिस्तान का रुख सकारात्मक नहीं
आर्थिक बदहाली और राजनीतिक जोखिम से जूझ रहे पाकिस्तान का रुख अभी एससीओ को लेकर काफी सकारात्मक नहीं दिख रहा है। भारत मुंबई में 27 से 31 जनवरी के बीच एससीओ फिल्म फेस्टिवल का आयोजन हो रहा है। सदस्य होने के बावजूद पाकिस्तान की तरफ से इस फेस्टिवल में स्कीइंग के लिए कोई फिल्म नहीं देखी गई। बाकी सभी देशों ने अपनी एंट्रीज अलर्ट है। भारत ने इस उत्सव के लिए सभी सदस्यों को निमंत्रण भेजा था। इससे पता चलता है कि तमाम मुद्दों पर पाकिस्तान से ख़फा होने के बावजूद भारत अपने अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ताओं से पीछे नहीं हट रहा है। वहीं एससीओ जैसे महत्वपूर्ण मंच को लेकर पाकिस्तान का बर्ताव आपस में जुड़ा हुआ है।
ओएससी की पर्यटन-सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी
भारत ने 17 से 19 जनवरी के बीच वाराणसी में एससीओ सदस्य देशों के राष्ट्रीय समन्वयकों की परिषद (राष्ट्रीय समन्वयकों की परिषद) की उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की थी। इसमें चीन और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों के प्रतिनिधि कैसे जुड़े थे। इस बैठक में सदस्य देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय पर्यटक आने पर सहमति बनी। इसके साथ ही 2022-23 के लिए वाराणसी को एससीओ की पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी भी घोषित किया गया। ओएससी का समरकंद शिखर सम्मेलन 2022 वाराणसी को इस अवधि के लिए पहली एससीओ पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी का नाम दिया गया था। इसका उद्देश्य देशों के बीच पर्यटन, सांस्कृतिक और लोगों के बीच संभावनाओं को बढ़ावा देना है। ओएससी के इस अनुमान से मध्य एशियाई देशों के साथ भारत के प्राचीन संबंध का महत्व पता चलता है।
वैश्विक स्तर पर ज़ोरों
अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के साथ-साथ भारत पर्यवेक्षण को भी उतना ही महत्व देता है। इसी के मद्देनजर भारत ने मंगलवार को सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती के मजार पर आने के लिए 249 पाकिस्तानियों को वीजा जारी किया है। सितंबर 1974 में भारत और पाकिस्तान ने धार्मिक स्थानों की अनाच्छादित प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत ही दोनों देश तीर्थ स्थलों की यात्रा की अनुमति देते हैं। तनाव को देखते हुए दोनों ही देशों की ओर से अलग-अलग मसले को आधार बनाकर तीर्थयात्रियों के वीजा को नामंजूर भी कर दिया जा रहा है। लेकिन इस बार भारत ने हमेशा की तरह सकारात्मक रुख दिखाते हुए पाकिस्तान के लोगों को आने की अनुमति दे दी है।
सितंबर 2023 तक भारत एससीओ का अध्यक्ष है
भारत 2017 में शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ का सदस्य बना था। उसके बाद से ही इस संगठन के सदस्यों के साथ अपने ऐतिहासिक पुनर्निर्माण को और गहरा करने पर जोर दिया जाता है। सितंबर 2022 में इस संगठन का प्रिंट शिखर सम्मेलन उज्बेकिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर समरकंद में हुआ था। इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत एससीओ सदस्यों के बीच व्यापक सहयोग और आपसी विश्वास का पक्षधर है। इसी सम्मेलन में अगले एक साल के लिए एससीओ की अध्यक्षता भारत को सौंपी गई थी। भारत सितंबर 2023 तक इसके अध्यक्ष हैं।
भारत चाहता है ट्रांजिशनिट का पूरा अधिकार
भारत एससीओ देशों के बीच सूचनाओं को बढ़ावा देने के साथ एक-दूसरे को संदेशवाहक (पारगमन) का पूरा अधिकार देने की दिशा में काम कर रहा है। समरकंद सम्मेलन 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया में बिजली और खाद्य संकट को देखते हुए वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला से संबंधित बाधाओं को दूर करने के लिए सदस्यों ने सहयोग बढ़ाने पर ज़ोर दिया। ओएससी क्षेत्र में आपूर्ति श्रृंखलाएं विकसित करने के लिए सदस्यों देशों को अत्यधिक प्रयास करने पर बल दिया था। पीएम मोदी ने कहा था कि इसके लिए बेहतर संदेश देना जरूरी है, साथ ही सदस्य देशों को एक-दूसरे को ट्रांजिट का पूरा अधिकार होगा। राष्ट्रपति के तौर पर भारत की कोशिश है कि अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC)समेत दक्षिण एशिया और मध्य एशिया के बीच सीमांत व्यापार हो और ट्रांजिट सिस्टम बन सके। इसके लिए भारत एससीओ देशों के साथ लगातार बातचीत कर रहा है। भारत का मानना है कि ट्रांजिट का पूरा अधिकार मिलने से एससीओ देशों के बीच व्यापार में तेजी आएगी और एससीओ देशों की समाजीकरण एक-दूसरे के संदेशों को भी बेहतर तरीके से साझा कर पाएंगे। भारत एससीओ देशों के बीच पारंपरिक चिकित्सा पर सहयोग बढ़ाने की दिशा में भी काम कर रहा है।
OSC देशों की उद्योग-धंधों की गति बढ़ती जा रही है
भारत एससीओ देशों में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है। इस रिश्तेदार भविष्य में भारतीय उद्योग जगत से एससीओ क्षेत्र में विकास की गति को बढ़ाने में मदद मिलेगी। वैसे भी कोरोना महामारी के बाद पूरी दुनिया आर्थिक संकट का सामना कर रही है, लेकिन भारत के विकास दर पर उसका विशेष प्रभाव नहीं पड़ा है। वैश्विक आर्थिक स्थूल से निपटने में एससीओ की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है और भारत की अध्यक्षता से इसका महत्व और बढ़ोत्तरी भी होती है। आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए भारत ने एससीओ देशों के साथ अपने अनुभव साझा करने के मकसद से स्टार्ट अप और इनोवेशन पर नए विशेष कार्य समूह बनाने की भी घोषणा की है। इससे एससीओ क्षेत्र में आर्थिक दबदबा बढ़ रहा है। भारत में 70,000 से क्लिक स्टार्ट-अप्स हैं। इनमें से 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न हैं। भारत का यह अनुभव एससीओ सदस्यों के बंधन से बेहद उपयोगी है।
ओएससी का विस्तार और भारत से उम्मीद है
वर्तमान एससीओ का नेतृत्व विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के द्वारा किया जा रहा है। समरकंद शिखर सम्मेलन 2022 में इस संगठन के पूर्ण सदस्य बनने के लिए ईरान ने अधिकृत प्रक्रिया शुरू कर दी थी। इस साल भारत की अध्यक्षता में होने वाले शिखर सम्मेलन में ईरान एससीओ का नौवां सदस्य बनेगा। सदस्य बनने की इच्छा रखता है। इसके लिए वो अंतरराष्ट्रीय कानूनी प्रक्रिया को पूरा करने में है। उसके अगले साल भी एससीओ के सदस्य बनने की पूरी संभावना है। भारत की अध्यक्षता में कई खाड़ी देश एससीओ के साथ पर्यवेक्षक या बातचीत कब्जे के तौर पर जुड़े हुए हैं। इनमें बहरीन, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। मिस्र, सऊदी अरब और कतर से पहले ही दावेदार हैं। भारत की भी कोशिश है कि उसकी अध्यक्षता में एससीओ के खाड़ी देशों के साथ संबंध और मजबूत हों। इनके अलावा म्यांमार और म्यांमार को भी एससीओ से संबंध मजबूत करने के लिए भारत से बहुत उम्मीदें हैं।
दुनिया की अत्यधिक ताकतवर मंच है एससीओ
शंघाई सहयोग संगठन कार्यक्षेत्र और जनसंख्या के अनुकूल दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन है। यह संगठन यूरेशिया एशिया और यूरोप के करीब 60 प्रतिशत अंशों को कवर करता है। एससीओ के सदस्य देशों की वैश्विक साझेदारी में करीब 30 प्रतिशत का योगदान है। दुनिया की 40 प्रतिशत आबादी एससीओ देशों में ही रहती है।
ओएससी का सफ़र और सदस्यता
अभी शंघाई सहयोग संगठन के 8 पूर्ण सदस्य हैं। इनमें रूस, भारत, चीन और पाकिस्तान के साथ ही 4 मध्य एशियाई देश कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। ओएससी एक बहुपक्षीय संगठन है। इसका गठन 21 साल पहले जून 2001 में हुआ था। उस समय इसमें 6 देश चीन और रूस के साथ कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल थे। इससे पहले चीन, रूस, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और कजाकिस्तान 1996 से शंघाई फाइव (शंघाई फाइव) के सदस्य थे। 2001 में उज्बेकिस्तान में शामिल होने के बाद इसे शंघाई सहयोग संगठन (शंघाई सहयोग संगठन) का नाम दिया गया। भारत के साथ भी पाकिस्तान 2017 में एससीओ का पूर्ण सदस्य बना। इसी साल ईरान भी नौवां सदस्य बनेगा। भारत सबसे पहले 2005 में एससीओ का पर्यवेक्षक देश बना था। ओएससी का मुख्यालय बीजिंग में है।
OSC के साथ नया अध्याय
सितंबर 2022 में अध्यक्षता मुलाकात के बाद भारत का एससीओ के साथ इसमें नए अध्याय की शुरुआत हुई थी। इस साल भारत की पहचान में एससीओ देशों के बीच कई कार्यक्रम और सम्मेलन हो रहे हैं। उम्मीद है कि भारत के नेतृत्व से एससीओ देशों के बीच सहयोग के नए आयाम खुलेंगे और सदस्यों के बीच आपसी समझौते भी बनेंगे। मौजूदा समय में इस संगठन से तीन पर्यवेक्षक देश रुके, ईरान और मंगोलिया और मालिकाना हक बुकिंग आर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका, मिस्र, सऊदी अरब, कतर, बहरीन, कुवैत, महानगर, अरब संयुक्त अमीरात और तुर्की जुड़े हुए हैं हैं।
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