माइक पोम्पिओ ने अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी की आलोचना की: अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने आरोप लगाया है कि अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी ‘बहुत धोखेबाज’ थे, उन्हें सिर्फ अपनी चिंता थी, वह किसी तरह सत्ता में बने रहना चाहते थे और वह किसी भी शांतिवार्ता के लिए बहुत बड़े बाधक थे .
बता दें कि 2021 में जब तालिबान संगठन अफगानिस्तान का सत्ता पर काबिज हो गया था तब गनी देश छोड़कर भाग गए थे। अपनी किताब ‘नेवर गिव एन इंच: फाइटिंग फॉर अमेरिका आई लव’ में पोम्पियो ने दावा किया है कि गनी और अफगानिस्तान के पूर्व मुख्य कार्यकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला सबसे ऊपर स्तर पर भ्रष्टाचार में शामिल थे, जिसकी वजह से अगस्त 2021 में जग से जुड़ कर जुड़ गए। बाहर से अमेरिका में बाधा उत्पन्न हुई थी। अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी सेना को 31 अगस्त तक वापस बुलाने का काम पूरा कर लिया था और इस तरह देश में 20 साल की उसकी सैन्य उपस्थिति समाप्त हो गई थी।
गनी को लेकर अपनी किताब में क्या कहा माइक पोम्पियो ने?
पिछले हफ्ते बाजार में मैंने अपनी किताब में पोम्पियो ने लिखा है, ”जब-जब बातचीत आगे बढ़ें, तब वह हमेशा रुकते रहे। मैं दुनिया के कई नेताओं से मिला और वह मुझे सबसे कम पसंद आने वाले नेताओं में से थे। इससे काफी कुछ सामने आ रहा है। जब आपके सामने किम जोंग-उन, शी जिनपिंग और व्लादिमीर जैसे नेता हों। फिर भी, गनी बहुत धोखेबाज थे जो अमेरिकी जिंदगियां समझौते की और वह सत्ता में येनकेन प्रकारेण बना रहना चाहते थे।”
‘गड़बड़ियों के कारण ही लौटें चुनाव जीतें गनी’
पोम्पियो ने किताब में कहा है, ”मैंने कभी अटैचमेंट नहीं किया कि वह अपने देश के लिए कोई ऐसा जोखिम तय करने के पक्ष में रहे जिससे उनका अधिकार पर आ गया। मुझे यह बहुत बुरा लगा।” इस किताब में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड स्पॉट्स वाले ने पिछले अमेरिकी प्रशासन की ओर से रेडानिक ऑल्टरनेट की ओर से वार्ता का स्पष्ट विवरण दिया है। प्रथम प्रशासन ने पूर्व राजनयिक जलमय खालिद को आन्दोलन के साथ वार्ता के लिए विशेष दूत नियुक्त किया था। पोम्पियो ने दावा किया कि बहुत से बड़े समुदाय के लोग हुए हैं क्योंकि वे फिर से चुनाव जीत गए हैं।
पोम्पियो ने गनी पर घूस देकर चुनाव जीतने का आरोप लगाया
पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, ”अंतिम चुनावी आंकड़ों के अनुसार गनी ने देश के मुख्य कार्यकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला को हराया था, लेकिन सच्चाई यह है कि अब्दुल्ला ने बंधुआ और मतों की गिनती करने वालों को ज्यादा रिश्वत दी थी, उनसे कहीं ज्यादा रिश्वत दी गनी ने दी थी।”
‘राष्ट्रपति पद के लिए झगड़ रहे थे’
उन्होंने कहा कि गनी और अब्दुल्ला तो इस बात के लिए झगड़ रहे थे कि अगला राष्ट्रपति कौन होगा, लेकिन उन्हें इस बात की जरा भी परवाह नहीं थी कि अफगानिस्तान की गलतफहमी करने के लिए एक सरकार भी आने वाली है। उन्होंने कहा, ”जनरल (ऑस्टिन स्कॉट) के अनुरोध पर मैं उन्हें 23 मार्च 2020 को यह बताने के लिए अचंभित हूं कि उन्हें समाधान खोजने की आवश्यकता है, तो मैं राष्ट्रपति को यह सलाह नहीं देता कि हमें उस देश से बाहर निकलना चाहिए जिसका मतलब होगा कि हम उस वक्त जो सालाना करीब पांच-छह अरब डॉलर की विदेशी सहायता दे रहे हैं, रुक जाने की शुरुआत।”
सहायता राशि गबन करने का भी आरोप लगाया
पोम्पियो ने दावा किया, ”तथ्य यह है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और देश के मुख्य कार्यकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने भी ऐसे गुटों की पहचान की, जिन्होंने अमेरिका की ओर से लाखों डॉलर की सहायता राशि गबन कर ली को दी। ऐसी स्थिति में उस घूस के टूटने से घबराहट से घबराहट होने लगी, हमें रुकावट आई।”
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